Strawberry Framing:छत्तीसगढ़ में कहां होती है स्ट्रॉबेरी की खेती?

Strawberry Framing in Chhattisgarh: अपने सुहावने मौसम और खूबसूरत वादियों के लिए जानी जाने वाली जगह जशपुर कई चीजों के लिए मशहूर है। अब तक जशपुर जिला टमाटर, नाशपाती, आम, अंजीर, आलू, मिर्च और कटहल की खेती के लिए जाना जाता था, लेकिन अब यहां स्ट्रॉबेरी की भी अच्छी किस्मों की खेती की जा रही है। आपको बता दें छत्तीसगढ़ में जशपुर ही इकलौता ऐसा जिला है जहां चाय और ग्रीन टी का भी उत्पादन होता है। अब स्ट्रॉबेरी जशपुर की नई पहचान बन रही है।

किसान को रहा है मुनाफा

स्ट्रॉबेरी की खेती के क्षेत्र में जशपुर जिला तेजी से आगे बढ़ रहा है। यहां बगीचा, सन्ना और मनोरा समेत कई इलाकों में किसान स्ट्रॉबेरी की खेती से अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। इन इलाकों में यहां की स्ट्रॉबेरी की इतनी डिमांड है की स्थानीय स्तर पर खपत हो जाती है। अब जशपुर के स्ट्रॉबेरी की डिमांड पूरे प्रदेश में और बॉर्डर से लगे राज्यों में भी हो रही है। एक एकड़ मे स्ट्रॉबेरी की खेती से 4-5 लाख रुपए की आमदनी होती है। जिले में अभी 25 किसान 6 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं।

एग्रो टूरिज्म के रूप में विकसित होगा जिला

स्ट्रॉबेरी और चाय की खेती के लिए जशपुर की जलवायु और मिट्टी काफी फेवरेबल है। इसी कंडिशन को उपयोगी बनाने के लिए कुनकुरी में उद्यानिकी महाविद्यालय की स्थापना की गई। इसके साथ ही जशपुर की मिट्टी में अलग-अलग तरह की फसलों को उगाने की दिशा में काम किया जा रहा है। कृषि और उद्यानिकी के क्षेत्र में रिसर्च करके जिले को एग्रो टूरिज्म जिले के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है।

दूसरे फलों की भी हो रही अच्छी पैदावार

जशपुर जिला फलों की खेती के मामले में लगातार आगे बढ़ रहा है। पिछले 10 सालों में यहां पर पारंपरिक खेती से हटकर अलग-अलग फलों की खेती हुई जिसमें सफलता भी मिली है। 2010 से लेकर 2020 तक फलों की खेती का क्षेत्रफल 5 हजार 949 से बढ़कर 11 हजार 402 हेक्टेयर हुआ। यहां पर स्ट्रॉबेरी के अलावा आम, लीची, नाशपाती, काजू, पपीता, अमरूद जैसे फलों की बंपर पैदावार ली जा रही है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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