Somnath Temple: रायपुर जिले के सिमगा के पास स्थित एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है, जिसे सोमनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है । यह प्राचीन शिव मंदिर सालों पुरान है। कहा जाता है यहां स्थापित शिवलिंग साल में तीन बार अपना रंग बदलते हैं। आस पास के लोगों में इस मंदिर को लेकर बड़ी आस्था है। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी जानकारियां।
6वीं से 7वीं शताब्दी का है मंदिर
इस मंदिर की वास्तुकला अपने आप में अद्भुत है। इस मंदिर का निर्माण 6वीं से 7वीं शताब्दी के बीच कराया गया था। यह भारतीय वास्तुकला के अद्वितीय उदाहरणों में से एक है। मंदिर की संरचना और शिल्पकारी अद्भुत है, जिसमें भगवान शिव की विभिन्न रूपों की मूर्तियां और चित्रण शामिल हैं। मंदिर परिसर में एक विशाल यज्ञशाला और एक सुंदर जलाशय भी है, जो इसकी खूबसूरती को और बढ़ाता है।
सोमनाथ मंदिर सिमगा की स्थापत्य शैली प्राचीन हिन्दू मंदिर निर्माण कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसकी संरचना में भगवान शिव की पूजा के लिए बनाए गए गर्भगृह, सभा मंडप, और प्रवेश द्वार की खूबसूरत नक्काशी शामिल है। मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर शिव पुराण की कथाओं और भगवान शिव के विभिन्न रूपों का चित्रण किया गया है।
राजा ने कराया था मंदिर का निर्माण
यह मंदिर भगवान शिव के उपासकों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना एक स्थानीय राजा द्वारा ने की थी। कहते है कि भगवान शिव की कृपा से राजा ने अपना खोया हुआ राज्य फिर से पाया था। उस राजा ने भगवान शिव के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर की एक और खास बात यह है कि यह मंदिर शिवनाथ नदी और खारुन नदी के संगम पर है।
निषाद समाज के आराध्य हैं शिव
सोमनाथ के शिव जी को गांव का निषाद समाज अपना आराध्य मानता है। गांव के लोग बताते हैं कि यह शिवलिंग खुदाई के दौरान पाया गया था। शिवलिंग को नदी के पास टिले में स्थापित कर दिया गया था। बाद में यहां मंदिर का निर्माण कराया गया। कहा जाता है बारिश के दिनों में नदी का पानी मंदिर तक पहुंच जाता है।
साल में 3 बार लगता है मेला
मंदिर के पास खारुन नदी के किनारे साल में 3 बार मेले का आयोजन होता है। पहला मेला फाल्गुन माह में महाशिवरात्रि पर दूसरा मेला माघी पुन्नी यानी माघ पूर्णिमा पर और तीसरा मेला श्रावण माह में आयोजित होता है। इस दौरान मेले में शिव भक्तों का हुजूम उमड़ता है। मान्यता है कि इस शिवलिंग में सिर्फ जल अर्पित करने मात्र से सारी मनोकामना पूरी होती है