SDH Story: महिला सशक्तिकरण की मिसाल मटनार की दीदियां

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के मटनार गांव की महिलाएं अपने आत्मनिर्भरता के प्रयासों से न केवल अपनी जिंदगी बदल रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रही हैं। वनोपज संग्रहण और प्रसंस्करण के माध्यम से ये महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त बनने की दिशा में एक नई मिसाल कायम कर रही हैं।

सफलता की ओर बढ़ते कदम

मटनार की महिलाओं ने कृषक कल्याण उत्पादक समूह का गठन कर संगठित रूप से काम शुरू किया। समूह ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से प्राप्त डेढ़ लाख रुपये की कार्यशील पूंजी से अपने काम को आगे बढ़ाया।

ईमली प्रसंस्करण

इस साल समूह ने 450 क्विंटल ईमली 13.50 लाख रुपये में खरीदी और फूल ईमली बनाकर इसे व्यवसायियों को बेचा। इस प्रक्रिया से उन्हें 4 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ।

कृषि उत्पादों का व्यापार

समूह मक्का, तिलहन और अन्य कृषि उत्पादों का क्रय-विक्रय भी कर रहा है, जिससे उनकी आय में निरंतर वृद्धि हो रही है।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का योगदान

बस्तर जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 90 उत्पादक संगठन बनाए गए हैं, जिनसे 2835 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इन समूहों को इंफ्रास्ट्रक्चर और पूंजी के लिए सहायता प्रदान की जा रही है। इस पहल के माध्यम से वनोपज संग्राहकों और किसानों को उनके उत्पाद का सही दाम दिलाने का प्रयास हो रहा है।

प्रेरणा की कहानी

मटनार की महिलाओं की मेहनत और लगन ने दिखा दिया कि जब सही संसाधन और मार्गदर्शन मिले, तो असंभव को भी संभव किया जा सकता है। आर्थिक आत्मनिर्भरता: ईमली और अन्य उत्पादों के संग्रहण और प्रसंस्करण से न केवल उनकी आय में वृद्धि हुई है, बल्कि वे अपने परिवारों के आर्थिक सहयोग में भी भागीदार बनी हैं। उनकी यह कहानी पूरे बस्तर और प्रदेश के लिए एक प्रेरणा बन गई है।

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दीदियों की मेहनत का फल

मटनार गांव की यह कहानी बताती है कि महिलाओं को अगर सही दिशा और अवसर मिलें, तो वे अपने सामर्थ्य से समाज को नई दिशा दे सकती हैं। वनोपज संग्रहण और प्रसंस्करण के माध्यम से मटनार की दीदियां सशक्तिकरण का प्रतीक बन चुकी हैं। यह प्रयास केवल बस्तर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे प्रदेश और देश के लिए एक उदाहरण बनेगा।

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Rishita Diwan

Content Writer

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