Satyajit Ray house: सत्यजीत रे के घर को बचाने का प्रयास कर रही सरकार!

Satyajit Ray house Bangladesh: सत्यजीत रे सिनेमा और साहित्य की दुनिया का वो नाम, जिसकी पहचान सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरी दुनिया में उनकी कला की सराहना हुई। लेकिन अफसोस की बात है कि अब उनकी विरासत से जुड़ा बांग्लादेश स्थित पैतृक घर खतरे में है। यह घर सिर्फ चार दीवारें नहीं, बल्कि बंगाली संस्कृति और रचनात्मकता का गवाह रहा है।

100 साल पुराना है ऐतिहासिक भवन

बांग्लादेश के मयमनसिंह शहर में स्थित यह भवन, सत्यजीत रे के दादा उपेंद्र किशोर रे चौधरी का था। वे बंगाली साहित्य, आर्ट और पब्लिशिंग की दुनिया में अग्रणी माने जाते हैं। यह घर करीब 100 साल पुराना है और अब यह बांग्लादेश सरकार के स्वामित्व में है। लेकिन हाल ही में बांग्लादेश प्रशासन ने इसे जर्जर बताकर गिराने की तैयारी शुरू कर दी है।

भारत की अपील

भारत सरकार ने इस फैसले पर गहरी चिंता जताई है। विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में कहा कि “यह भवन बंगाली सांस्कृतिक पुनर्जागरण की पहचान है, इसे गिराना नहीं, संरक्षित करना चाहिए।” भारत ने इस इमारत को एक साहित्यिक और सांस्कृतिक संग्रहालय में बदलने का सुझाव भी दिया है और इस काम में बांग्लादेश सरकार के साथ मिलकर काम करने की इच्छा भी जताई है।

बने संग्रहालय

मयमनसिंह के स्थानीय निवासी, इतिहास प्रेमी और सांस्कृतिक कार्यकर्ता इस धरोहर को बचाने के पक्ष में हैं। उनका कहना है कि इस इमारत को बचाकर संग्रहालय या कल्चरल सेंटर में बदला जा सकता है। यह रे परिवार की विरासत और बंगाली रचनात्मक इतिहास को दिखाने वाला एक लिविंग मॉन्युमेंट बन सकता है।

भारत-बांग्लादेश का रिश्ता

भारत और बांग्लादेश के बीच कई दशकों से गहरे सांस्कृतिक संबंध हैं। सत्यजीत रे की धरोहर को बचाने की भारत की कोशिश, इन संबंधों को और मजबूत करने का मौका हो सकती है। यह कदम दोनों देशों के बीच सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक भी बनेगा।

राज्य सरकार उठा रही आवाज

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने भी इस मुद्दे पर आवाज उठाई है। उन्होंने भारत सरकार से अपील की थी कि वह बांग्लादेश सरकार से बात करे और सत्यजीत रे की विरासत को बचाए। इसके तुरंत बाद भारत सरकार ने इस पर आधिकारिक बयान जारी किया।

ऐतिहासिक भवन का भविष्य?

अब बॉल बांग्लादेश सरकार के पाले में है। सवाल ये है कि क्या वह इस इमारत को तोड़ने के फैसले पर दोबारा विचार करेगी? क्या भारत-बांग्लादेश मिलकर इस धरोहर को संरक्षित करने के लिए साथ आएंगे?

सिर्फ इमारत नहीं, विरासत

सत्यजीत रे का मयमनसिंह स्थित पैतृक घर केवल एक भवन नहीं, बल्कि कला, साहित्य और संस्कृति की आत्मा है। इसे बचाना हमारी ज़िम्मेदारी है। सिर्फ भारत या बांग्लादेश की नहीं, बल्कि उन सभी की जो रचनात्मकता और विरासत को महत्व देते हैं।

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Rishita Diwan

Content Writer

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