Raut Nacha Festival: राउत नाचा, छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक नृत्यों में से एक है। राउत नाचा का भव्य आयोजन न्यायधानी बिलासपुर में किया गया। बिलासपुर के लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में राज्य का सबसे बड़ा राउत नाचा महोत्सव का आयोजन हुआ। इस फेस्टिवल में पूरे राज्य से कई नर्तक दल शामिल हुए। विजेता दल के लिए इनाम राशी भी तय की गई थी। बिलासपुर में दिवाली के बाद यह आयोजन हर साल किया जाता है।
अस्त्र-शस्त्र और श्रृंगार का संगम
इस भव्य राउत नाचा महोत्सव (Raut Nacha Festival) में पूरे राज्य से 80 से भी ज्यादा नर्तक दल पहुंचा था। एक साथ इतने राउथ नाचा दल का संगम अद्भुत था। इसे और अद्भुत बनाया अस्त्र-शस्त्र और प्रतिभागियो के पारंपरिक श्रृंगार ने। राउत नाचा में गाए जाने वाले दोहे मूलरूप से श्री कृष्ण को समर्पित किए जाते हैं। लेकिन इस बार दोहों के जरिए भक्ती के साथ ही सामाजिक संदेश भी दिए गए।
10 हजार दियों से सजी अरपा
2024 में हुआ ये आयोजन राउत नाचा महोत्सव (Raut Nacha Festival)का 47वां आयोजन था। इसकी तैयारी हफ्तों पहले से की जा रही थी। इस मौके पर अरपा के तट को भी 10 हजार दियों से भव्य तरीके से सजाया गया था। कार्यक्रम का उद्घाटन छत्तीसगढ के सीएम विष्णुदेव साय ने किया। सीएम भी खुद को गड़वा बाजा की धुन में थिरकने से नहीं रोक पाए। इस साल इस उत्सव की इनामी राशी 2 लाख रुपए रखी गई थी।
क्या होता है राउत नाचा?
राउत नाचा छत्तीसगढ़ का पारंपरिक नृत्य है। ये यादुवंशियों यानी यादव समाज के द्वारा किया जाता है। इसे दिवाली के कुछ दिन पहले से शुरु करके दिवाली के बाद तक किया जाता है। यह एख ग्रुप फोक डांस है और सिर्फ पुरुषों के द्वारा किया जाता है। डांसर्स का गेटअप और श्रृंगार इस डांस को और भी अट्रैक्टिव बनाती है। समूह के सभी लोग पारंपरिक धोती और शर्ट में होते हैं। सरपर पारंपकि टोपी होती है जिसपर मोर पंख और रंग-बिरंगे कलगियां लगी होती है। सभी कलाकारों के पास डंडा भी होत है और डंडे को भी अच्छी तरह से सजाया जाता है।
राउथ नाचा में गड़वा बाजा क मुख्य होता है। इसमें नर्तक दलों में से कोई एक, दोहा कहता है दोहा खत्म होने पर गड़वा बाजा बजता है और सब एक साथ डांस करते हैं। दोहे मेकृष्ण भक्ति, व्यंग और कोई संदेश भी छिपा होता है। राउत नाचा दल घरों-घरो जाकर नाच करते हैं फिर घरवाले इन्हें कुछ भेंट देकर विदा करते हैं।