Rajyasabha Election: हमारे देश की संसद दो सदनों से चलती है, पहली लोकसभा और दूसरी राज्यसभा। लोकसभा के सदस्य देश की जनता के द्वार लोकसभा चुनावों में मतदान करके चुने जाते हैं। जबकी राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव राज्यों के विधायक अपना वोट देकर करते हैं। यह अप्रत्यक्ष चुनाव होता है क्योंकी इसमें देश की जनता भाग नहीं लेती। आइए जानते हैं राज्य की राज्यसभा सीटों की संख्या कैसे तय की जाती है और चुनाव की क्या प्रक्रिया है।
कैसे तय होती है सीट?
किसी राज्य में कितनी राज्यसभा सीटें होंगी इसका फैसला उस राज्य की आबादी को देखकर किया जाता है। जिस राज्य में जितनी ज्यादा आबादी होती है वहां उतनी ही राज्यसभा की सीटें तय की जाती है। जैसे उत्तर प्रदेश देश का सबसे ज्यादा आबादी वाला प्रदेश है इसलिए वहां राज्यसभा सीटों की संख्या 31 है वहीं महाराष्ट्र में 19 सीटें निर्धारित की गई है। देश के छोटे राज्य जैसे असम, मेघालयमि, मिजोरम में एक-एक राज्यसभा सीट हैं। छत्तीसगढ़ में राज्यसभा की 5 सीटें हैं। कुल मिलाकर देश में 250 राज्यसभा सीटें हैं, जिनमें से 238 सीटों के लिए चुनाव होता है। बाकी बचे 12 सदस्यों को राष्ट्रपति, कला, संगीत, खेल आदी के क्षेत्र से नामित करते हैं।
राज्यसभा चुनाव का प्रोसेस
राज्यसभा के सदस्य 6 साल के लिए चुने जाते हैं। प्रत्येक दो सालों में एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने पर चुनाव कराए जाते हैं। राज्यसभा चुनाव में सिर्फ विधायक हिस्सा लेते हैं जबकी एमएलसी मतदान नहीं करते। राज्यसभा चुनाव एक फॉर्मूले से होता है जो इस तरह है-
(विधायकों की कुल संख्या/राज्यसभा की खाली सीटें+1)+1
यानी, पहले किसी राज्य की खाली राज्यसभा सीटों में एक जोड़ेगे फिर उसे वहां के कुल विधायकों की संख्या भाग देंगे, जो भी उत्तर आता है फिर उसमें एक जोड़ देंगे, अब जो संख्या मिलेगी, राज्यसभा सदस्य चुने जाने के लिए उतने वोट की जरूरत होती है। अगर किसी राज्य की 3 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने हैं और वहां कुल विधायकों की संख्या 200 है तो फॉर्मूले के हिसाब से
(200/3+1)+1= 51 आएगा, यानी उस राज्य से राज्यसभा सदस्य चुने जाने के लिए एक प्रत्याशी को 51 वोट चाहिए होंगे।
विधायक बनते हैं चुनाव का हिस्सा
राज्यसभा चुनाव में एक और अहम नियम है कि एक हर राज्यसभा सीट के लिए वोट ना करके पूरे राज्य के लिए एक वोट करेगा। ऐसा नहीं करने पर सिर्फ सत्ता धारी दल के राज्यसभा सदस्य का चुनाव होगा क्योंकी उनके पास ज्यादा विधायक रहते हैं। विधायकों को एक पेपर पर लिखना होता है कि उनकी पहली पसंद कौन हैं और दूसरी पसंद कौन। जिस उम्मीदवार को पहली पसंद के सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं उनका चुनाव राज्यसभा सांसद के रूप में होता है।