Project Trinetra: क्या है “प्रोजेक्ट त्रिनेत्र” जो राजनांदगांव की कर रहा सुरक्षा

Project Trinetra: राजनांदगांव के आईपीएस मोहित गर्ग, शहर की सुरक्षा को लेकर एक बेहतरीन काम कर रहे हैं। इसे ‘त्रिनेत्र प्रोजेक्ट’ नाम दिया गया है। इसके तहत मॉर्डन टेक्नोलॉजीजैसे सीसीटीवी मॉनिटरिंग और इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम्स की मदद से राजनांदगांव शहर की निगरानी की जा रही है। इस पहल से ट्रैफिक मैनेजमेंट, अपराधों की रोकथाम, और आपातकालीन सेवाओं में तेजी से सुधार हुआ है।

क्या है त्रिनेत्र प्रोजेक्ट?

त्रिनेत्र प्रोजेक्ट शहर की सुरक्षा के लिए तैयार किया गया प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट की खास बात है कि इशे बिना किसी सरकारी मदद के चलाया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से जनता के पैसों और मैनेजमेंट से सफलतापूर्वक चल रहा है। राजनांदगांव की सिक्योरिटी केलिए शहर में कुल 573 AI CCTV कैमरे लगाए गए हैं। जिनकी मदद से शहर की 24 घंटे निगरानी की जाती है।

प्रोजेक्ट त्रिनेत्र सिक्योरिटी के लिए कम्यूनिटी बेस्ड मॉडल का एक बेहतरीन उदाहरण बन गया है। प्रोजेक्ट की शुरुआत के दो महीनों में ही  इसके जरिए 100 से ज्यादा अपराध सुलझाए गए हैं। अब इस प्रोजेक्ट पर लोगोंका भरोसा भी बढ़ते जा रहा है।

कैसे हुई त्रिनेत्र की शुरुआत ?

राजनांदगांव के आसपास के कुछ गांव जो महाराष्ट्र बॉर्डर से लगे हुए हैं वो नक्सल प्रभावित है। यहां हाईवे छत्तीसगढ़ को महाराष्ट्र से जोड़ता है। इन पहलुओं को देखते हुए यहां सुरक्षा बढ़ाने और ट्रैफिक मैनेजमेंट को और बेहतर करने की जरूरत महसूस की गई। यहां ऐसे सुरक्षा कवच की जरूरत थी जो हर तरह की गतिविधियों पर नजर रख सके और क्विक रिस्पॉन्स करें। त्रीनेत्र प्रोजेक्ट में सीसीटीवी मॉनिटरिंग, पुलिस कंट्रोल रूम और इमरजेंसी मेडिकल सर्विसेस जैसे 108 और 102 को भी शामिल किया गया है।

कैसे काम करता है प्रोजेक्ट त्रीनेत्र?

इस प्रोजेक्ट के तहत पूरे शहर में AI से चलने वाले CCTV कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों को जिला पुलिस कंट्रोल रूम और 112 इमरजेंसी रिस्पॉन्स के साथ एक कंट्रोल रूम से जोड़ा गया है। किसी भी खतरे की आशंका होने पर सभी जगह मैसेज जाता है और तुरंत रिस्पॉन्स मिलता है। कैमरों से रेड लाइट तोड़ने, ओपर स्पीडिंग और ट्रिपलिंग जैसे मामलों की भी पहचान की जाती है। फिर ई-चालान जारी किया जाता है।

कैसे कलेक्ट हुआ फंड?

प्रोजेक्ट के लिए फंड जमा करना सबसे बड़ी चुनौती थी। लेकिन जनभागिदारी ने इसे भी आसान बना दिया। पहले फेज में, व्यापारी संघ, लगभग 20 व्यापारी, एनजीओ और सोशल ग्रुप शामिल हुए। उसके बाद 10 और समूह जुड़े। फिर व्यापारी संघों ने फंड जमा करना शुरु किया। 100 से ज्यादा लोगों ने इस प्रयास में मदद की जो जिला पुलिस द्वारा दुर्घटनाओं और सीसीटीवी के जरिए अपराधों की पहचान करने से प्रभावित थे।

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Rishita Diwan

Content Writer

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