Next Dalai Lama: तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाई लामा एक बार फिर विश्व भर की सुर्खियों में हैं। वजह है उनके पुनर्जन्म को लेकर संभावित घोषणा, जो धर्मशाला में की जा सकती है। यह निर्णय सिर्फ एक धार्मिक औपचारिकता नहीं, बल्कि तिब्बती संस्कृति, राजनीति और वैश्विक कूटनीति पर गहरा असर डालने वाला कदम है।
पुनर्जन्म पर ऐतिहासिक चर्चा
2 से 4 जुलाई के बीच धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार के मुख्यालय में चार प्रमुख बौद्ध परंपराओं साक्य, काग्यू, निंग्मा और गेलुग के वरिष्ठ धर्मगुरु एकजुट होकर दलाई लामा के साथ चर्चा करेंगे। माना जा रहा है कि इसी दौरान 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो पुनर्जन्म को लेकर अपना स्टैंड साफ कर सकते हैं।
क्या महिला होगी अगली दलाई लामा?
दलाई लामा पहले ही संकेत दे चुके हैं कि उनका अगला पुनर्जन्म किसी स्वतंत्र समाज में होगा, और यह जरूरी नहीं कि वह पुरुष ही हो – अगली दलाई लामा महिला भी हो सकती हैं। यह विचार न सिर्फ परंपरा में एक बड़ा बदलाव है, बल्कि लैंगिक समानता की दिशा में भी एक मजबूत संदेश है।
चीन कर रहा विरोध
चीन पहले ही इस मुद्दे पर आपत्ति जता चुका है। उसका इरादा भविष्य में दलाई लामा की उत्तराधिकारी प्रक्रिया को नियंत्रित करने का रहा है। लेकिन दलाई लामा स्पष्ट कर चुके हैं कि पुनर्जन्म की प्रक्रिया आध्यात्मिक है, राजनीतिक नहीं, और इसका फैसला न तो कोई सरकार ले सकती है, न ही कोई संस्था।
जन्मदिन पर करेंगे घोषणा
6 जुलाई को दलाई लामा 90 वर्ष के हो जाएंगे। उन्होंने पहले कहा था कि वे 90 वर्ष की उम्र में ही पुनर्जन्म पर निर्णय लेंगे। ऐसे में 2 जुलाई को होने वाली घोषणा पर तिब्बती समुदाय, भारत के हिमालयी क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध समाज की नजरें टिकी हैं।
भारत में दलाई लामा का महत्व
भारत के लद्दाख, हिमाचल, उत्तराखंड और अरुणाचल जैसे क्षेत्रों में दलाई लामा सिर्फ आध्यात्मिक गुरु नहीं हैं, बल्कि सांस्कृतिक प्रतीक, नैतिक मार्गदर्शक और सामाजिक एकता के सूत्रधार भी हैं। धर्मशाला में निर्वासन में रहकर उन्होंने पूरी दुनिया को शांति, करुणा और अहिंसा का संदेश दिया है।
कौन करेगा अगुवाई?
दलाई लामा की घोषणा यह तय करेगी कि बौद्ध धर्म का नेतृत्व अगली सदी में किस दिशा में जाएगा। क्या यह एक महिला की अगुवाई में होगा? क्या तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन को इससे नया बल मिलेगा? या यह चीन से संघर्ष के नए अध्याय की शुरुआत होगी?
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पुनर्जन्म से जुड़ी घोषणा
यह भारत, तिब्बत और विश्व के तमाम हिस्सों में फैले करोड़ों अनुयायियों के विश्वास, पहचान और भविष्य से जुड़ा मामला है। दलाई लामा का यह कदम आने वाले दशकों के लिए एक नया नैतिक रोडमैप तय कर सकता है।