New Criminal Law में 1 जुलाई से क्या बदल रहा? घर से ही कर पाएंगे FIR?

New Criminal Laws: भारतीय न्याय संहिता में कुछ बदलाव किए गए हैं। लोगों की सुविधा और क्रिमिनल केसेस को खत्म करने की दृष्टि से ये बदलाव काफी महत्वपूर्ण साबित होंगे। लोगों को जल्दी न्याय मिले और कानून पर विश्वास बना रहे इस उद्देश्य से सरकार ने ये कदम बढ़ाया है। जानते हैं न्यू क्रिमिनल लॉ में अब आपको क्या-क्या सुविधाएं मिलेंगी साथ ही ये भी जानेंगे कि अपराधियों को मिलने वाली सजा में क्या-क्या बदलाव किया गया है।

क्या हैं महत्वपूर्ण बदलाव?

भारत में एक जुलाई से नए क्रिमिनल लॉ (भारतीय न्याय संहिता BNS) लागू किए जा रहे हैं। इसके लागू होते ही देश के क्रिमिनल लॉ में बहुत कुछ बदल जाएगा। इसकी सबसे खास बात ये है कि अब आपको ये सुविधा दी जा रही है कि आप अपने साथ होने वाले अपराध की रिपोर्ट किसी भी थाने में दर्ज करा सकते हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि इसके लिए आपको तुरंत थाने में जाने की जरूरत नहीं है। बल्कि आप सीधे अपने स्मार्टफोन या ईमेल से ही FIR दर्ज करवा सकते हैं। इसके अलावा भी कुछ खास बदलाव भारतीय न्याय संहितामें किए गए हैं।

नए कानून में क्या खास?

मोदी सरकार ने 1 जुलाई से पुराने आपराधिक कानूनों को हटाकर नए आपराधिक कानून लागू करने का फैसला किया है। नए कानूनों में आज के जमाने और तकनीक को ध्यान में रखते हुए कई प्रावधान एड किए गए हैं। साथ ही पुराने कानूनों में मौजूद गैरजरूरी चीजों को खत्म करने का फैसला भी लिया गया है।

नए कानूनों में जोड़े गए प्रमुख प्रावधान

  • फोन और ईमेल पर भी पुलिस के पास FIR लिखवाई जा सकेगी।
  • ऑनलाइन एफआईआर लिखवाने के तीन दिनों के भीरत ही नजदीकी थाने जाकर उस रिपोर्ट पर साइन करना होगा।
  • जरूरी नहीं कि जहां घटना घटी है वहीं पर रिपोर्ट लिखवाई जाए।
  • एक जगह घटी घटना की रिपोर्ट किसी दूसरे थाने में भी लिखवाई जा सकेगी।
  • पुलिस जीरो एफआईआर दर्ज कर संबंधित थाने को केस ट्रांसफर करेगी।
  • किसी भी एफआईआर की जांच के लिए 14 दिन के अधिकतम समय दिया जाएगा।
  • ऐसे केस को 14 दिन में डीएसपी रैंक के अफसर को जांच करनी होगी।
  • विदेश में बैठकर अपराध करने वालों के खिलाफ भी रिपोर्ट लिखवाने की सुविधा नए कानून में है।
  • कुछ छोटे अपराध जैसे परीक्षा में नकल करना या जुआ खेलना गैरजमानती होगा।
  • विवाह का प्रलोभन देकर दुष्कर्म करने के मामले अब धारा 69 के तहत दर्ज होंगे।
  • आतंकी मामलों में UAPA के साथ-साथ स्टेट पुलिस भी जांच में शामिल होगी। लेकिन ऐसे मामलों में निर्णय एसपी या उससे ऊंची रैंक के अधिकारी ही ले पाएंगे।

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Positive सार

भारतीय न्याय संहिता BNS में हुए ये बदलाव निश्चित ही जनता की भलाई में एक मील का पत्थर साबित होंगे। जहां पहले घटना घटने के बाद प्रार्थी को एक थाने से दूसरे थाने में दौड़ाया जाता था। ऐसी चीजें नहीं होंगी। प्राथमिक तौर पर थाना जाकर रिपोर्ट लिखवाने का प्रेशर भी प्रार्थी को नहीं होगा। कुछ कड़े प्रावधान नए कानून में लागू किए गए हैं। इनसे भी निश्चित ही अपराध खत्म होंगे।

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Rishita Diwan

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