नवरात्रि का पर्व शक्ति, भक्ति और आस्था का अद्वितीय संगम है। यह पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का प्रतीक है, जहां हर दिन को विशेष रूप से निर्धारित एक रंग के साथ जोड़ा जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों के रंग केवल सजावट या वस्त्रों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह प्रत्येक दिन के देवी के स्वरूप के गुणों, शक्ति और उनके संदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन रंगों के माध्यम से साधक न केवल भौतिक रूप से, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी मां दुर्गा की कृपा और शक्ति का अनुभव करता है।
नारंगी रंग (मां शैलपुत्री)
नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की आराधना को समर्पित है, जिनका प्रतीक नारंगी रंग है। यह रंग ऊर्जा, उत्साह और शक्ति का प्रतीक है। मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और पर्वतों की स्थिरता एवं साहस को दर्शाती हैं। नारंगी रंग से मनुष्य अपने जीवन में नए जोश और स्फूर्ति का संचार करता है, जिससे वह अपनी आध्यात्मिक यात्रा को आरंभ करने के लिए प्रेरित होता है।
हरा रंग (मां ब्रह्मचारिणी)
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है, जिनका रंग हरा है। यह रंग जीवन, सृजन और शांति का प्रतीक है। मां ब्रह्मचारिणी तपस्या और साधना की देवी हैं, जो जीवन में धैर्य और संयम की शिक्षा देती हैं। हरे रंग से साधक अपने जीवन में संतुलन और मानसिक शांति प्राप्त करने की ओर अग्रसर होता है।
ग्रे रंग (मां चंद्रघंटा)
तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जिनका रंग ग्रे होता है। ग्रे रंग अज्ञानता और असमंजस को मिटाकर शांति और स्थिरता की स्थापना का प्रतीक है। यह रंग हमें कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति और साहस प्रदान करता है, जैसे मां चंद्रघंटा अपनी क्रूरता के बावजूद शांत और सौम्य रहती हैं।
नारंगी रंग (मां कूष्माण्डा)
नवरात्रि के चौथे दिन फिर से नारंगी रंग का महत्व है, जो मां कूष्माण्डा की पूजा से जुड़ा है। यह रंग मां कूष्माण्डा की सृजनशीलता, ऊर्जा और ऊर्जावान व्यक्तित्व को दर्शाता है। माना जाता है कि मां कूष्माण्डा ने सृष्टि की रचना की थी, इसलिए नारंगी रंग उनके असीम ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है।
सफेद रंग (मां स्कंदमाता)
पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जिनका रंग सफेद है। यह रंग पवित्रता, शुद्धता और शांति का प्रतीक है। मां स्कंदमाता अपने पुत्र कार्तिकेय को गोद में लेकर हमें ममता, वात्सल्य और करुणा का संदेश देती हैं। सफेद रंग से साधक अपने मन और आत्मा को शुद्ध रखने का संकल्प लेता है।
लाल रंग (मां कात्यायनी)
छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है, जिनका रंग लाल है। यह रंग शक्ति, साहस और क्रांति का प्रतीक है। मां कात्यायनी दुर्गा के सबसे शक्तिशाली रूपों में से एक हैं, जो राक्षसों का संहार करती हैं। लाल रंग साधक को जीवन में अपनी बुराइयों से लड़ने और अन्याय के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देता है।
रॉयल ब्लू रंग (मां कालरात्रि)
सातवे दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है, जिनका रंग रॉयल ब्लू होता है। यह रंग शक्तिशाली और गंभीरता का प्रतीक है। मां कालरात्रि हमें जीवन में आने वाले कष्टों और दुखों का सामना करने की प्रेरणा देती हैं। रॉयल ब्लू रंग से साधक आत्मविश्वास और स्थिरता प्राप्त करता है।
गुलाबी रंग (मां महागौरी)
आठवे दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है, जिनका रंग गुलाबी है। गुलाबी रंग प्रेम, करुणा और करुणामयता का प्रतीक है। मां महागौरी अपने भक्तों के सभी पापों का नाश कर उन्हें शांति और सुख प्रदान करती हैं। गुलाबी रंग से साधक अपने जीवन में प्रेम और स्नेह का विस्तार करता है।
बैंगनी रंग (मां सिद्धिदात्री)
नौवे दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है, जिनका रंग बैंगनी है। यह रंग आध्यात्मिकता, आत्मज्ञान और सिद्धि का प्रतीक है। मां सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों की अधिष्ठात्री देवी हैं, जो भक्तों को उनकी साधना में सफलता और सिद्धियों का वरदान देती हैं। बैंगनी रंग साधक को आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करता है।
रंगों के माध्यम से मां दुर्गा की आराधना
नवरात्रि के नौ रंग केवल देवी के अलग-अलग रूपों को नहीं दर्शाते, बल्कि हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। ये रंग हमें जीवन की विविधता, शक्ति, प्रेम, करुणा, साहस और संतुलन का महत्व सिखाते हैं। नवरात्रि के इन नौ दिनों में हम मां दुर्गा की आराधना कर अपनी आत्मा को इन रंगों की भांति विभिन्न गुणों और शक्तियों से भर सकते हैं।