Memory of the world: भारत के महाकाव्य रामचरित मानस, पंचतंत्र और सह्रदयालोक-लोकन को यूनेस्को (UNESCO) की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर में शामिल किया गया है। ये भारत के लिए गर्व की बात है। दुनियाभर में लोग अब ज्यादा से ज्यादा इन भारतीय ऐतिहासिक साहित्यों से जुड़ पाएंगे। जानते हैं क्यों खास है ये भारतीय साहित्य और क्यों इन्हें मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड में शामिल किया गया।
खबरों में
मंगोलिया की राजधानी उलानबटार में आयोजित मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड द पैसिफिक की 10वीं आम बैठक हुई। इस बैठक में ये घोषणा की गई कि भारतीय साहित्य रामचरित मानस, सहृदयालोक-लोकन और पंचतंत्र को ‘यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर’ में शामिल किया जा रहा है। ‘सहृदयालोक-लोकन’ आचार्य आनंदवर्धन, पंचतंत्र पंडित विष्णु शर्मा और रामचरित मानस को गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित है।
भारत के लिए गर्व की बात
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने इस उपलब्धि पर प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि ” ये कालातीत कार्य हैं जिन्होंने भारतीय साहित्य और संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया साथ ही देश के नैतिक ताने-बाने और कलात्मक अभिव्यक्तियों को आकार भी मिला है”।
भारत की अद्भुत रचनाएं
मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड (Memory of the world) में शामिल ये रचनाएं भारतीय संस्कृति का समृद्धता को दर्शाते हैं। इन साहित्यिक कृतियों ने समय और स्थान से परे जाकर भारत के भीतर और बाहर दोनों जगह लोगों पर अपनी एक अनोखी छाप छोड़ी है।
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विश्व रजिस्टर की यूनेस्को मेमोरी
यूनेस्को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर मानवता की दस्तावेजी विरासत की सुरक्षा के लिए बनाई गई है। इसकी शुरूआत साल 1992 में हुई थी। ये एक अंतरराष्ट्रीय पहल के रूप में देखी जाती है। इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक मूल्य की दस्तावेजी सामग्रियों को संरक्षण देना है। इसमें मेनुस्क्रिप्ट, किताबें, अभिलेखीय दस्तावेज, फिल्में, ऑडियो और फोटोग्राफिक रिकॉर्ड होते हैं।