Mawlynnong Village: अगर हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताएं जहां चारों तरफ हरियाली हो, गांव की गलियों में करीने से सजी फूलों की क्यारियां हो, नदियों में बहता साफ पानी, नदी पर पेड़ों की जड़ों से बना पुल हो और जहां कचरे और प्लास्टिक का नामोनिशान ना हो तो क्या आप यकीन करेंगे, नहीं ना? आपको यह सब काल्पनिक लग सकता है। लेकिन एक ऐसा ही गांव अपने ही देश में मेघालय में है। आइए जानते हैं कल्पना की तरह लगने वाला यह गांव कौन सा है और क्यों ये इतना मशहूर है।
मेघालय में है मॉलिननॉन्ग गांव
स्वर्ग सा सुंदर लगने वाले इस गांव का नाम ‘मॉलिननॉन्ग (Mawlynnong Village)है। मेघायल में स्थिति इस गांव को सिर्फ भारत ही नहीं पूरे एशिया के सबसे सुंदर और स्वच्छ गांव का दर्जा मिला हुआ है। इस गांव की हरियाली, सुंदर नदियां और झरने इसे प्राकृतिक रूप से सुंदर बनाते हैं। साथ ही इस गांव के सफाई पसंद ग्रामीण गांव के घरों और गलियों को आकर्षक रूप देते हैं।
नहीं होता प्लास्टिक का इस्तेमाल
यह गांव सिर्फ साफ और सुंदर ही नहीं बल्की पूरी तरह से प्लास्टिक फ्री भी है। इस गांव में किसी भी तरह के प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न मॉलिननॉन्ग गांव (Mawlynnong Village) में बांस की टोकरियों और बांस से ही बने डस्टबीन का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं प्लास्टिक कैरी बैग की जगह कपड़े से बनी थैलियां यूज की जाती है।
भगवान का बगीचा कहलाता है यह गांव
गांव की सुंदरता और प्राकृतिक नजारें इतने सुंदर है की इसे ‘भगवान का बगीचा’ (Garden of the Gods)कहा जाता है। यहां पर बड़ों से लेकर बच्चे तक सभी गांव की स्वच्छता का खास ख्याल रखते हैं। मॉलिननॉन्ग गांव अपनी सुंदर डॉकी नदी के लिए भी मशहूर है। यहां नदी पर (Leaving Root River Bridge) लीविंग ट्री रूट से नदी पार करने के लिए पुल बनाया गया है।
दूसरे मामलों में भी आदर्श है ये गांव
मॉलिननॉन्ग गांव सिर्फ अपनी सफाई और सुंदरता के लिए ही आदर्श गांव नहीं है बल्की, यह सारक्षरता के मामले में भी आगे है। मालिननॉन्ग गांव के 100 फीसदी लोग साक्षर हैं। छोटा गांव होकर भी इसने महिला सशक्तिकरण का ऐसा उदाहरण पेश किया है जो अब तक बड़े और विकसित शहर भी नहीं कर सके हैं। इस गांव में बच्चों को अपनी मां का सरनेम मिलता है। वहीं पैतृक संपत्ति में घर की छोटी बेटी का सबसे पहला हक होता है।
Positive सार
मॉलिननॉन्ग गांव बड़े और साधन संपन्न शहरों को साफ और प्रकृति के करीब रहने की सीख देता है। अगर आप इस गांव की तस्वीरें देखेंगे तो तस्वीरों से ही आपको पॉसिटिव वाइब्रेशन्स मिलेंगी। प्लास्टिक जो हर तरीके से हानिकारक है, को पूरी तरह से त्याग कर इस गांव ने एक उदाहरण पेश किया है। यह गांव हमें सिखाता है कि हमारे द्वारा उठाए गए छोटे-छोटे कदम बड़े और पॉसिटिव बदलाव के लिए काफी होते हैं।