Kalpana Saroj: ना डिग्री, ना अनुभव, हौसले के दम पर बनीं करोड़पति!

Kalpana saroj: कल्पना सरोज आज के समय में नारी सशक्तिकरण की जीती जागती मिसाल हैं। एक समय था जब वो अपनी जिंदगी खत्म करने की कगार पर थीं और आज करोड़ों की कई कंपनियों की मालिक हैं। कल्पना उन लोगों में से हैं जो अपनी जिद से अपने जिंदगी संवारते हैं। कभी 2 रुपए में मजदूरी करने वाली कल्पना आज 1 हजार करोड़ रुपए नेटवर्थ वाली कंपनी ‘कमानी ट्यूब्स’ की चेयरपर्सन हैं। जानते हैं उनकी प्रेरणा से भरी कहानी।

मुसीबतों से लड़कर पाया मुकाम

कल्पना (Kalpana saroj) मूल रूप से महाराष्ट्र की रहने वाली हैं। उनका जन्म बेहद गरीब परिवार मे हुआ था। कल्पना का पूरा बचपन अभाव और संघर्ष में बीता। स्थिति इतनी खराब थी कि उन्हें गोबर के उपले बनाकर बेचना पड़ता और उससे होने वाली छोटी कमाई से घर चलता। जब वो 10 साल की हुईं  तो उनकी शादी उनसे दोगुने उम्र वाले आदमी से करा दी गई। यहां आकर भी उनके जीवन में कुछ बदलाव नहीं आया बल्की अब हालात पहले से भी बद्तर थे। शादी के बाद पढ़ाई तो छूटी हीं ससुराल में उनके साथ मारपीट भी होने लगी।

एक पल में बदली जिंदगी

कल्पना के जीवन में एक समय ऐसा था जब उन्हें सभी रास्ते बंद दिखाई दे रहे थे। ससुराल में मारपीट से तंग आकर कल्पना भागकर मायके आ गई। पर गांव वालों ने इसकी सजा उनके मायके वालों का हुक्का पानी बंद करके दिया। इस समय कल्पना अपनी सारी उम्मीद खो चुकी थी और अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला कर चुकी थीं। लेकिन उसी समय किसी ने उन्हें ऐसा करने से रोका और  यहीं से उनकी जिंदगी ने एक करवट ली। जिसके बाद कल्पना ने कभी मुड़कर नहीं देखा।

कैसे मिली सफलता

महज 16  साल की उम्र में जिंदगी ने उन्हें तपा कर मजबूत बना दिया था। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और काम की तलाश में मुंबई आईं। यहां उन्होंने एक कपड़े की कंपनी शुरु की जहां उन्हें एक दिन में 2 रुपए मजदूरी मिलती थी। यही वो समय था जब कल्पना के जीवन को नई रोशनी मिली। कपड़े से जुड़े काम की समझ बढ़ने पर उन्होंने कुछ सरकारी योजनाओं से और कुछ अपने पैसे लगाकर सिलाई मशीन खरीदी और अपना काम करना शुरु किया। धीरे-धीरे आय बढ़ने लगी और कल्पना का बिजनेस भी। उन्होंने एक फर्नीचर स्टोर और एक पार्लर भी खोल लिया। अब समय कल्पना के पक्ष में था वो जिस भी काम में हाथ डालती उन्हें सफलता मिल रही थी।

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कैसे बनीं कमानी ट्यूब्स की मालकिन?

कल्पना की जिंदगी अब रफ्तार पकड़ चुकी थी तभी उन्हें पता चला कि सालों से बंद पड़ी कमानी ट्यूब्स के कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट फिर से शुरु करने की सलाह दे रही है। कल्पना ने यह काम भी शुरु किया और कंपनी के पुराने कामगारों को साथ लिया। यहां भी उन्हें कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। ना तो उन्हें इस काम का अनुभव था ना कोई बड़ी डिग्री हाथ में थी। लेकिन कई कठिनाइयों को पार कर चुकी कल्पना के लिए  यह भी एक पड़ाव ही था जिसे उन्होंने आगे चल कर पार कर ही लिया। आज कमानी ट्यूब्स का सालाना करोड़ों का टर्नओवर है। कल्पना कमानी ट्यूब तक ही नहीं रुकीं इसके बाद उन्होंने कमानी स्टील्स, कल्पना बिल्डर एंड डैवलपर्स, केएस क्रिएशंस, कल्पना एसोसिएट्स जैसी कई कंपनियां शुरु की और आज सभी को सफलतापूर्वक चला रही हैं।

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Rishita Diwan

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