Janmastami 2024: भारत के अलग-अलग जगहों पर कैसे मनाते हैं जन्माष्टमी?

Janamastami 2024: भगवान श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव यानी की कृष्ण जन्माष्टमी उनके भक्तों के लिए बहुत ही खास होता है। नटखट नंदलाल के जन्मोत्सव के लिए उनके भक्त भी उसी तरह उत्साहित रहते हैं जैसा कि एक छोटा बच्चा। श्री कृष्ण से जुड़े स्थानों पर यह दिन और भी खास होत है। यहां पर महीनों पहले जन्माष्टमी की तैयारी होने लगती है। देश के ये कुछ मंदिर ऐसे हैं जहां जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही खास अंदाज में मनाया जाता है।

राजस्थान का कानूड़ा उत्सव

राजस्थान के सिरोही नाम के छोटे से गांव में कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार कानूड़ा उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यहां एक दिन की जन्माष्टमी नहीं होती बल्की पूरे 10 दिन का त्योहार होता है। जन्माष्टमी के एक दिन पहले गांव की महिलाएं पूरे परिवार समेत नदी जाती हैं और नदी की मिट्टी से ही बाल कृष्ण की मूर्ति बनाती हैं। इस मूर्ति को कानूड़ा के नाम से पुकारते हैं। गांव के गोल बाल कृष्ण की मूर्ति को 10 दिनों के लिए घर पर लाते हैं और उन्हें बच्चों की तरह सर पर बैठाकर पूरे गांव में और रिश्तेदारों के घर घुमाया जाता है। कानूड़ा को हर दिन शाम को गायों के बीच ले जाकर कृष्ण भजन गाया जाता है और गरबा भी किया जाता है। दसवें दिन कानूड़ा की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है और फिर घर के ही गमले में या नदी में विसर्जित कर दिया जाता है।

उडुप्पी में 9 छिद्रों से दर्शन देते हैं श्री कृष्ण

कर्नाटक के उडुप्पी में श्री कृष्ण का अनोखा मंदिर है। इस मंदिर की खास बात है मंदिर में किए जाने वाले दर्शन का तरीका। यहां  श्री कृष्ण के दर्शन मंदिर में बने 9 छिद्रों से किया जाता है। जन्माष्टमी में यहां मंदिर को बड़े ही सुंदर तरीके से फूलों से सजाया जाता है। उडुप्पी के लिए कृष्ण जन्माष्टमी प्रमुख त्योहारों मे से हैं। इस दिन उडुप्पी में दर्शन के लिए भक्तों की बड़ी संख्या में भीड़ रहती है। इस जगह को दक्षिण मथुरा के नाम से भी जाना जाता है। जन्माष्टमी  दिन यहां पूजा की शुरुआत शुभ मुहुत में ‘अर्घ्य प्रधाना’ से होती है इसमें भगवान को दूध और पानी से नहलाया जाता है। इस दिन कृष्ण लीलोत्सव भी होता है और आखिर में मोसारू कुडिके की रस्म होती है जो दही हांडी से मिलती जुलती परंपरा है।

कान्हा को दी जाती है 21 तोपों की सलामी

उदयपुर से 48 किलोमीटर दूर नाथद्वार में स्थित श्रीनाथजी भी कृष्ण जी का ही एक रूप है। इस मंदिर को श्रीनाथ मंदिर कहते हैं। यहां पर स्थापित श्री कृष्ण की मूर्ति 7 साल के बाल रूप की है। श्रीनाथ मंदिर का कृष्ण जन्मोत्सव पूरे देश में प्रसिद्ध है। न्माष्टमी में भगवान श्रीनाथ को 21 तोपों और बंदूकों की सलामी दी जाती है। इस खास तरह की जन्माष्टमी देखने के लिए भक्त राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र समेत पूरे देश से श्रीनाथ पहुंचते हैं।

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Rishita Diwan

Content Writer

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