IPS Sundarraj P: बस्तर में बदलाव लाने वाले IPS सुंदरराज पी कहानी!

IPS Sundarraj P

छत्तीसगढ़ का बस्तर… वह धरती, जिसने दशकों तक नक्सलवाद का दर्द सहा, जहां जंगलों की खामोशी भी कभी खून की दहशत बयां करती थी। लेकिन आज वही बस्तर बदल रहा है और इस बदलाव के केंद्र में खड़ा है एक नाम, IPS Sundarraj P, the man who turned the Red Zone into a Hope Zone. बस्तर रेंज के आईजी, 2003 बैच के ये अधिकारी नक्सलवादियों के लिए “काल” बन चुके हैं। उनकी रणनीति, सख्त फैसले और ग्राउंड-लेवल पर मौजूद रहने की आदत ने इस इलाके के हालात पूरी तरह बदल दिए हैं।

कोयंबटूर से… मिशन बस्तर तक

27 फरवरी 1980, तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक साधारण परिवार में एक लड़के ने जन्म लिया, जिसकी आंखों में जिज्ञासा थी और मन में देश सेवा का जुनून। यही बच्चा आगे चलकर बना IPS Sundarraj P। उनके पिता सरकारी नौकरी में थे, इसलिए अनुशासन घर से ही मिला। कोयंबटूर के लोकल स्कूल में पढ़ाई करते हुए सुंदरराज कुछ बड़ा करने का सपना देखते थे। संघर्ष, कड़ी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति ने उन्हें UPSC तक पहुंचाया।

सिर्फ 25 साल की उम्र में वह पहली बार बस्तर की धरती पर उतरे एक ऐसी जगह, जिसे देखकर कई अफसर डर जाते हैं, जहां रात सायरन से नहीं, गोलियों की आवाज से खुलती थी।लेकिन सुंदरराज के लिए यह जगह एक मिशन थी।

Ground से ही मिली जीत

IPS बनने के बाद उन्होंने कभी खुद को सिर्फ ऑफिसर नहीं समझा, बल्कि एक ग्राउंड सैनिक की तरह काम किया।उनका मानना है- “Desk पर बैठकर नक्सलवाद नहीं खत्म होता, जंगलों में उतरना पड़ता है।”और यही उन्होंने किया।सुरक्षाबल के जवानों के साथ जंगलों में पैदल मार्च से लेकर ऑपरेशन की कमान तक…हर खतरे में वह मौजूद रहे।कहा जाता है कि जिन इलाकों में अफसर कदम रखने से कतराते थे, वहां IG Sundarraj खुद पहुंचे।

माओवाद के खिलाफ

माओवाद के खिलाफ सबसे बड़े ऑपरेशन उनके नेतृत्व मेंपिछले कुछ वर्षों में नक्सलवादियों की रीढ़ जिस तरह टूटी है, उसमें IG Sundarraj P की भूमिका निर्णायक है। कई टॉप कमांडर ढेर हुए रिकॉर्ड सरेंडर हुए नक्सल बेल्ट में पहली बार “राज्य की मौजूदगी” महसूस हुईसड़कों, स्कूलों और स्वास्थ्य सेवाओं की वापसी हुई उनकी रणनीति तीन स्तंभों पर आधारित रही—कड़ा एक्शन + बेहतर इंटेलिजेंस + विश्वास की बहाली। यही कारण है कि आज बस्तर में नक्सलवाद का प्रभाव इतिहास बनने की कगार पर है।

The Officer With a Human HeartIG Sundarraj सिर्फ encounter specialist नहीं, बल्कि एक संवेदनशील अधिकारी भी माने जाते हैं।सरेंडर करने वाले नक्सलियों की काउंसलिंगजनजातीय युवाओं के लिए रोज़गारगांवों में विश्वास अभियान (Confidence Building Measures)उन्होंने बस्तर को सिर्फ मुठभेड़ों से नहीं, बल्कि मानवता और विकास से भी जीता है।

आज का बस्तर

कल का स्वर्णिम इतिहास आज बस्तर की हवा में हथियारों का डर नहीं, बदलाव की खुशबू है। जवानों के कदमों की आवाज अब “खौफ” नहीं, “सुरक्षा” का अहसास कराती है।और इस बड़े परिवर्तन में, एक नाम हर बार उभरकर सामने आता है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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