INS Arighat: भारतीय नौसेना के पास पाकिस्तान और चीन पर निगरानी रखने के लिए एक नई ताकत आ गई है। भारतीय नौसेना 29 अगस्त को अपनी दूसरी परमाणु पनडुब्बी INS अरिघात को समुद्र में उतारने जा रही है। यह पूरी तरह से स्वदेशी पनडुब्बी है और अरिहंत श्रेणी की है, जो मौजूदा INS अरिहंत को समर्थन प्रदान करेगी। उल्लेखनीय है कि INS अरिहंत भारतीय नौसेना में 2009 में शामिल की गई थी। विस्तार से जानें इस नई ताकत के बारे में
INS अरिघात की खासियत
अरिघात नाम संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘शत्रु का नाश करने वाला’, और इसके कार्यक्षेत्र से मेल भी खाता है। यह अत्याधुनिक पनडुब्बी पानी की सतह पर 22 से 28 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल सकती है और समुद्र की गहराई में 44 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सफर कर सकती है। इसके अलावा, यह महीनों तक पानी में रह सकती है। यह K-15 मिसाइलों से लैस है, जो 750 किलोमीटर की दूरी तक वार कर सकती हैं। सबमरीन पर 8 लॉन्च ट्यूब्स होंगे, जो 3,500 किलोमीटर की रेंज वाली 8 K-4 मिसाइलों को ले जा सकते हैं।
INS अरिहंत के साथ करेगा काम
INS अरिघात, INS अरिहंत के साथ मिलकर काम करेगी। भारतीय नौसेना जल्द ही तीसरी पनडुब्बी को भी शामिल करने वाली है, और दो और पनडुब्बियां 2035-36 तक तैयार हो जाएंगी। भारतीय नौसेना ने इन पनडुब्बियों से लंबी दूरी की परमाणु मिसाइलों का परीक्षण किया है। INS अरिघात भारत की स्वदेशी रूप से निर्मित परमाणु पनडुब्बी है, जो भारतीय नौसेना की समुद्री शक्ति को दोगुना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
Positive सार
INS अरिघात के भारतीय नौसेना में शामिल होने से नौसेना की शक्ति और बढ़ गई है। इससे पहले भारत के पास न्यूक्लियर पॉवर पनडुब्बी थी। लेकिन 10 साल की तय लीज खत्म होन के बाद भारत ने उसे रूस को लौटा दिया थ । अब समुद्री रास्ते से दुष्मनों को जवाब देन के लिए भारत के पास पर्याप्त ताकत हो गई है। भारत को अब विदेशी पनडुब्बियों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है।