IAS Officer की कितनी होती है सैलरी, कौन सी सुविधाओं का मिलता है लाभ?

IAS Officer: हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग ने UPSC CSE 2023 के रिजल्ट जारी किए हैं। देशभर से लगभग 10 लाख बच्चे इसके लिए तैयारी करते हैं और कुछ चुनिंदा लोग ही इसमें सिलेक्ट हो पाते हैं। देश की इस सबसे प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षा में काफी कॉम्पिटिशन होता है। जितना ये कठिन होता है उतनी ही मेहनत भी मांगता है। बावजूद इसके लोग क्यों इसकी तैयारी करते हैं? क्या इसकी सैलरी काफी ज्यादा होती है? या इसमें मिलने वाली सुविधाएं आकर्षक होती है, जानेंगे इस लेख में

क्यों हर युवा बनना चाहता है IAS?

इसमें युवाओं के सबसे ज्यादा आने की सबसे बड़ी वजह है एक प्रतिष्ठित पद। इसके साथ ही देश के लिए कुछ करने की सोच रखने वाले ज्यादातर युवा इस परीक्षा को पास करना चाहते हैं। प्रशासन का हिस्सा बनकर ये युवा देश को आगे ले जाने में मदद करते हैं।

आईएएस का वेतन

सरकारी जानकारी के अनुसार सभी आईएएस अधिकारियों (IAS Officer) की सैलरी एक ही लेवल से शुरू होता है। बाद में कार्यकाल और प्रमोशन के हिसाब से वेतन में बदलाव होते रहते हैं। 7वें वेतन आयोग के अनुसार एक IAS ऑफिसर को बेसिक सैलरी के तौर पर शुरुआत में 56100 रुपये मिलते हैं। इसके अलावा टीए, डीए और एचआरए भी उन्हें मिलता है। सभी को जोड़कर एक आईएएस ऑफिसर को कुल मिलाकर शुरुआत में प्रति महीने 1 लाख रुपये से ज्यादा का वेतन दिया जाता है। वहीं अगर अधिकारी कैबिनेट सचिव के पद तक पहुंचते हैं तो उनकी सैलरी 2 लाख 50 हजार रुपये तक भी होती है।

आईएएस को मिलती हैं ये सुविधाएं

आईएएस अधिकारियों के लिए अलग-अलग पे-बैंड तय होते हैं। इन पे-बैंड में जूनियर, सिनियर और सुपर टाइम स्केल होते हैं। पे-बैंड के हिसाब से ही आईएएस अधिकारियों को घर, रसोइया और दूसरे स्टाफ की सुविधा मिलती है। आईएएस अधिकारी को पोस्टिंग के दौरान कहीं जाना होता है तो ये खर्च सरकारी होता है। रहने और खाने की सुविधा भी सरकार की तरफ से ही मिलता है। इसके अलावा कहीं आने-जाने के लिए गाड़ी और ड्राइवर भी दिया जाता है।

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आईएएस को मिलने वाले भत्ते

महंगाई भत्ता जिसे DA कहते हैं। ये सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को मिलने वाला भत्ता है। इसे जीवनयापन समायोजन भत्ता कहते हैं। ये भत्ता बेसिक सैलरी का एक हिस्सा होता है। जो समय-समय पर एडजस्ट किया जाता है। डीए बेसिक सैलरी का लगभग 17 प्रतिशत होता है।

मकान किराया भत्ता यानी कि जो सरकारी आवास नहीं लेते हैं उन्हें ये भत्ता पोस्टिंग के शहर के हिसाब से दिया जाता है। ये बेसिक सैलरी का 8 से 24 फीसदी तक होता है।  

यात्रा भत्ता इस उद्देश्य से दिया जाता है कि अधिकारी अपनी यात्रा लागत को कवर कर सके। ये डोमेस्टिक और इंटरनेशनल दोनों होते हैं।

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Rishita Diwan

Content Writer

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