Hill Myna: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में पाई जाने वाली पहाड़ी मैना छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी है। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद जुलाई 2001 को बस्तरिया पहाड़ी मैना को राजकीय पक्षी घोषित किया गया। पहाड़ी मैना का वैज्ञानिक नाम ग्रेटी पैनिन्सुलेरिस है। पहाड़ी मैना एक दुर्लभ प्रजाती है इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार से संरक्षित करने के लिए लगातार प्रयास कर रह है।
संरक्षित प्रजाति है पहाड़ी मैना
पहाड़ी मैना पक्षियों की सरंक्षित प्रजातियों में से है। यह दुर्लभ प्रजाति छत्तीसगढ़ बस्तर में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाती हैं। यहां पहाड़ी मैना के संरक्षण और संवर्धन के लिए कई कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। स्थानी युवाओ को मैना मित्र के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है। राज्य सरकार और वन विभाग की लगातार कोशिशों से अब बस्तर में पहाड़ी मैना की संख्या में इजाफा भी हुआ है।
इंसानों की तरह बोलती है पहाड़ी मैना
पहाड़ी मैना में बहुत खास बात होती है, ये हुबहू इंसानों की तरह आवाज निकालती है। तोते की तरह पहाड़ी मैना को भी आप बात करना सीखा सकते हैं। इसकी यही क्वालिटी इसे बाकी पक्षियों से अलग बनाती है। राजकीय पक्षी होने की वजह से पहाड़ी मैना का शिकार छत्तीसगढ़ में पूरी तरह प्रतिबंधि है। ऐसा करने पाए जाने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
कैसी दिखती है पहाड़ी मैना?
पहाड़ी मैना एक सुंदर और छोटी पक्षी है। इसका रंग काला चमकीला होता है, नारंगी रंग का चोच और पिली कलगी मैने को और भी खूबसूरत बनाती है। पहाड़ी मैने के डैने पर एक छोटा सफेद चित्ता भी रहता है। इसकी लंबाई करीब 28 से 30 सेंटिमीटर रहती है। वहीं वजन में यह 200 से 250 ग्राम तक हो सकती है। पहाड़ी मैना को सारिका और बस्तरिया मैना के नाम भी जाना जाता है।
कांगेर वैली है प्राकृतिक आवास
बस्तर की कांगेर वैली पहाड़ी मैना का प्राकृतिक आवास है। ये अक्सर झुंड में देखी जा सकती है। इनके झुंड की संख्या 2 मैना से लेकर 8 मैने तक होती है। पहाड़ी मैना फरवरी से मई के बीच अंडे देती है। इनके अंडे भी बाकी पक्षियों से अलग हल्के गुलाबी या बैगनी रंग के होत हैं। पहाड़ी मैना घोसला नही बनाती सूखे पेड़ों की खोह में अंडे देती है। अक्सर यह कटफोड़वा के बनाए खोह को अपना आवास बना लेती है।