Guru Gha sidas Lok Kala Mahotsaw: सतनामी समाज के गुरु और धर्म प्रवर्तक गुरु घासीदास की जयंती 18 दिसंबर को मनाई जाती है। छत्तीसगढ़ के सतनामी समाज के लिए यह एक बड़ा त्योहार होता है। इस दिन शहरों और गांवों में कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। राज्य सरकार की तरफ से भी कई स्तरों पर प्रतियोगिताओं और लोक कलाओं से जुड़े आयोजन होते हैं। इस मौके पर हर साल राज्य सरकार गुरु घासीदास लोक कला महोत्सव का भी आयोजन करती है। जिसके जरिए पंथी नृत्य के साथ छत्तीसगढ़ की लोक कला और कलाकारों को प्रोत्साहित किया जाता है।
Guru ghasidas lok kala mahotsav 2024-25
राज्य सरकार इस बार भी गुरु घासीदास लोक कला महोत्सव 2024-25 का आयोजन धूमधाम से करने वाली है। इसकी तैयारी राज्य और जिला स्तर पर शुरु की जा चुकी है। आदिवासी विकास विभाग ने लोक कलाकारों से आवेदन लेने की प्रक्रिया शुर कर दी है। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले कलाकार आदिवासी विकास विभाग में अपना आवेदन 27 नवंबर तक जमा कर सकते हैं।
गुरु घासीदास लोक कला महोत्सव का उद्देश्य
गुरुघासीदास लोक कला महोत्सव आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ की लोक कला और लोक कलाकारों को बढ़ावा देना है। इस लोक कला महोत्सव में आकर्षण का मुख्य केंद्र पंथी नृत्य रहता है। पंथी नृत्य सतनामी समाज का मुख्य लोक नृत्य है। हर साल कई पंथी नृत्य समूह इस लोक कला महोत्सव में भाग लेते हैं। विजेता दल को सरकार की तरफ से प्रमाण पत्र और पुरस्कार राशी भी दी जाती है।
किन लोक कलाओं की होती है प्रतियोगिता?
लोक कला महोत्सव में जिला स्तर पर पंथी नृत्य के अलावा पंडवानी, भरथरी जैसे कई लोक गीत और लोक नृत्यों की प्रतियोगिताएं होती है। साथ ही छत्तीसगढ़ के परंपरागत लोक वाद्य यंत्र से जुड़े कलाकार भी अपनी प्रस्तुति देते हैं। गुरु घासीदास लोक कला महोत्सव छत्तीसगढ़ की विभिन्न लोक कलाओं और संस्कृति को एक मंच प्रदान करता है। कई कलाएं जो विलुप्ति के कगार भी थीं ऐसी प्रतियोगिताओं से फिर से जीवंत हो रही हैं। अपनी लोक कला को बचाने और सम्मान के लिए इस तरह का कार्यक्रम सराहनीय पहल है।