Govardhan Pooja: गोवर्धन पूजा जिसे अन्नकूट के नाम से भी मनाया जाता है, छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्योहार होता है। दिवाली के ठीक दूरे दिन मनाए जाने वाले गोवर्धन पूजा को ग्रामीण इलाकों में लक्ष्मी पूजा से भी ज्यादा महत्व दिया जाता है। छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है इसलिए यहां कृषि और पशुओं से जुड़ा हर त्योहार खास होता है। किसानों के लिए पशु और फसल ही उनका धन होता है। गोवर्धन पूजा के दिन भीे गाय की पूजा होती है। आइए जानते हैं छत्तीसगढ़ में किस तरह से मनाया जाता है गोवर्धन पूजा का त्योहार।
गोबर से बनाए जाते हैं “गोवर्धन”
ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोकूल के लोगों को भयंकर बारिश से बचाया था। इंद्र द्वारा घनघोर बारिश कराने पर कृष्णजी ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर उसके नीचे गांव वालों के साथ जानवरों को भी पनाह दी थी। इस लिए इस दिन गाय के गोबर से श्री कृष्ण का गोवर्धन पर्वत उठाए हुए आकृति बनई जाती है। साथ में बलदाऊ भी बनाए जाते हैं। उसे नए धान की बालियों और फूलों से सजाया जाता है। पवित्र माने गए गोबर से बनी इसी आकृति की पूजा की जाती है।
गोधन को खिलाया जाता है पकवान
इस दिन घर में पाले जाने वाले गाय की भी पूजा की जाती है। उनके लिए खास व्यंजन तैयार किए जाते हैं। छत्तीसगढ़ में खास तौर पर खिचड़ी तैयार की जाती है। इस खिचड़ी में 7 प्रकार का अन्न और साथ मे 7 प्रकार की सब्जियां डाली जाती है। साथ में पुड़ी, बड़ा जैसे पकवान भी बनाए जाते हैं। भोजन और पकवान बनाकर सबसे पहले पशुओं को खिलाया जाता है उसके बाद घर के बाकी लोग खाते हैं।
शाम को लगता है पशुओ का मेला
इस दिन शाम के समय गांव के पूरे गाय-बैल बछड़ों को एक जगह इकट्ठा कर लिया जाता है। इस जगह को दैहान कहा जाता है। यहां पर भी गोबर से बड़े आकार के “गोबरधन” यानी कृष्ण और बलराम की आकृति बनाई जाती है। इनकी पूजा की जाती है फिर गायों के झुंड को इनके उपर से गुजारा जाता है। बाद में सभी गांव वाले गोबरधन का थोड़ा-थोड़ा गोबर अपने साथ लेकर जाते हैं। इसी गोबर से एक दूसरे को तिलक करके बधाई देते हैं। छोटे बच्चे बड़ों को तिलक लगाकर आशीर्वाद लेते हैं।