Girijatmaj Ganpati: अष्टविनायक(ashtavinayak darshan) दर्शन के सफर में आज हम जानने वाले हैं ‘गिरिजात्मज विनायक’ के बारे में। अष्टविनायक दर्शन में छठवें क्रम में इनके दर्शन किए जाते हैं। गिरिजात्मज विनायक का मंदिर पुणे ने 90 किलोमीटर दूर लेण्याद्री गांव में बना हुआ है। आइए जानते हैं इस मंदिर की विशेषता और गिरिजात्मज गणपति से जुड़ी मन्यताओं के बारे में।
एक चट्टान से बना मंदिर
गिरिजात्मज गणपति का मंदिर अद्भुत है। यह लेण्याद्री पहाड़ पर बना हुआ है। इस पहाड़ पर 18 बौद्ध गुफाएं स्थित है। इनमें आठवें गुफे में गिरिजात्मज विनायक (girijatmaj ganpati)विराजमान हैं। इन गुफाओं को गणेश गुफा(ganesh cave) भी कहते हैं। इस अद्भुत मंदिर की कारीगिरी देखने लायक है। मंदिर का निर्माण एक चट्टान को काटकर किया गया है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 307 सीढ़ियां चढ़नी होती है। (ashtavinayak darshan)
बाल रूप में विराजित हैं गणपति
गिरिजात्मज विनायक, गणेश जी का बाल रूप है। (girijatmaj ganpati)गिरिजात्मज का मतलब ही होता है गिरिजा के आत्मज यानी मां पर्वती के पुत्र। यहां गणेश जी की मूर्ति का मुख पूर्व की तरफ मुड़ा हुआ है। इस मूर्ति का निर्माण भी मंदिर के अंदर, दीवार की चट्टान पर ही उकेरा गया है। कहा जाता है इसी गुफा में मां पार्वती ने तपस्या की थी और गणपति की मूर्ति को स्थापित किया था।
अद्बुत मंदिर को किसने बनाया?
अपने आप में अनोखे इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान लेण्याद्री आए थे। उन्होंने एक रात में ही पहाड़ काटकर इस मंदिर का निर्माण किया था। गिरिजात्मज गणपति का मंदिर कुकड़ी नदी के उत्तर-पश्चिम तट पर स्थिति है। लेण्याद्री (lenyadri)शब्द मराठी और संस्कृत से मिलकर बना है। मराठी में ‘लेना’ का मतलब होता है गुफा। वहीं संस्कृत में ‘आद्री’ का अर्थ है पहाड़। लेण्याद्री का उल्लेख गणेश पुराण और स्थल पुराण में भी मिलता है।