Ganesh utsav 2024: हिंदू धर्म में बहुत से देवी देवताओं की पूजा की जाती है। हर देवी-देवता की अपनी सवारी है। प्रथम पूज्य गणेश जी की सवारी मूषक है। गणेश जी की मूर्ति बिना उनकी सवारी के पूरी नहीं होती। गणेश जी की हर मूर्ति और तस्वीर में मूषक राज जरूर होते हैं। आइए जानते हैं क्यों भारी भरकम लंबोदर ने छोटे से मूषक को अपना सवारी बना लिया।
इस तरह मूषक बना सवारी
मूषक के गणेश जी के वाहन बनने से जुड़ी कथा के अनुसार, एक बार गणेश जी अपना वाहन नहीं होने से नाराज थे। वो अकेले ही अपने वाहन की तलाश में निकल गए। रास्ते में उन्हें ऋषि पराशर मिले जो एक मूषक की वजह से परेशान थे। गणेश जी ने उनकी मदद की। उन्होंने मूषक को अपने पाश में फंसा लिया। मूषक डर गया और माफी मांगने लगा। गणेश जी ने उसे क्षमा किया और अपनी सवारी बना लिया। उन्होंने उसे अपना भार वहन करने की शक्ति भी दी।
गंधर्व श्राप से बना था मूषक
जिस मूषक को गणेश जी ने अपना सवारी बनाया वो कोई साधारण मूषक नहीं था। मूषक एक समय में इंद्र के दरबार में क्रोंच नाम का गंधर्व हुआ करता था। एक बार सभा चल रही थी पर क्रोंच मस्ती मजाक में लगा हुआ था। उसी दौरान उसने मुनि वामदेव के ऊपर पैर रख दिया। ऋषि ने उसे उसी समय मूषक बनने का श्राप दे दिया। बाद में वही गंधर्व गणेश जी की सवारी बना।
मूषक से मिलती है सीख
गणेश जी जैसे विशाल शरीर वाले देवता हैं। मूषक आसानी से उन्हें पीठ पर बैठा कर सवारी कराता है। यह इस बात की सीख देता है कि कोई भी व्यक्ति या जानवर छोटा नहीं होता। किसी की क्षमता को उसके आकार से नहीं आंका जा सकता है। हर किसी में अपनी क्षमता और ताकत होती है।
Positive सार
गणेश जी का सवारी मूषक छोटा सा जीव है लेकिन हमेशा गणेश जी के साथ रहता है। चूहे में छोटी से छोटी जगह और संकरी जगहों से पार होने की क्षमता होती है। जिस जगह से एक ताकतवर जानवर नहीं निकल सकेगा वहां से एक चूहा आसानी से निकल जाता है। मूषक हमें कठिन से कठिन से हालात से निकलने की भी सीख देता है।