राजस्थान का अजमेर जिला अपने अनोखे गांवों के लिए जाना जाता है, लेकिन देवमाली गांव इस संदर्भ में एक खास स्थान रखता है। यह गांव अपने अनूठे नियमों और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है, जहां करोड़पति भी कच्चे घरों में रहने को मजबूर हैं।
कच्चे घरों का अनूठा नियम
देवमाली गांव की सबसे विशेष बात यह है कि यहां एक भी घर की छत पक्की नहीं है। ग्रामीणों का मानना है कि उनके आराध्य देव भगवान देवनारायण ने कहा था कि शांति बनाए रखने के लिए पक्की छत नहीं होनी चाहिए। इस मान्यता के कारण गांव में सभी लोग आज तक इस नियम का पालन करते आ रहे हैं।
शाकाहारी संस्कृति और अपराधमुक्त समाज
देवमाली गांव पूरी तरह से शाकाहारी है, जहां हत्या या चोरी जैसी घटनाओं की कोई परंपरा नहीं है। यहां एक भी चोरी की घटना दर्ज नहीं हुई है, जिससे यह गांव अपराधमुक्त क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। ग्रामीणों का मानना है कि इस शांति का रहस्य उनकी पारंपरिक जीवनशैली और आपसी सम्मान में छिपा है।
प्राकृतिक प्रेम और देव पूजा
गांव में पेड़-पौधों के प्रति अपार प्रेम है, लेकिन नीम के पेड़ को विशेष सम्मान दिया जाता है। देवमाली की पहाड़ी पर भगवान देवनारायण का मंदिर है, जो गांव की आस्था का केंद्र है। यहां के लोग हर सुबह नंगे पैर पहाड़ी की परिक्रमा करते हैं, जो उनकी गहरी आस्था और परंपराओं का प्रतीक है।
सादगी और एकता की मिसाल
देवमाली गांव के लोग अपनी भूमि को भगवान देवनारायण की संपत्ति मानते हैं, जिससे किसी भी तरह की व्यक्तिगत संपत्ति की भावना दूर होती है। लगभग 1500 की आबादी वाला यह गांव पूरी तरह से गुर्जर जाति के लोगों से बसा है, जो अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को बड़े गर्व से निभाते हैं।
Positive सार
देवमाली गांव की यह अनूठी संस्कृति और परंपरा उसे अन्य गांवों से अलग बनाती है। यहां की शांति, सादगी और एकता आज के कलियुग में भी सतयुग का अहसास कराती है। देवमाली न केवल एक गांव है, बल्कि यह एक जीवनशैली का प्रतीक है, जो हमें यह सिखाती है कि साधारणता में भी एक खास आनंद छिपा होता है।