Chhattisgarh’s State Tree: क्या है छत्तीसगढ़ का राज्य वृक्ष?

Chhattisgarh’s State Tree: बस्तर के जंगलों में पाया जाने वाला साल का पेड़ छत्तीसगढ़ का राजकीय वृक्ष है। इसका वैज्ञानिक नाम Shorea robusta या शोरिया रोबस्टा है। छत्तीसगढ़ में इसे “सरई” भी कहा जाता है। यह पेड़ राज्य की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। पूरे राज्य में करीब एक तिहाई हिस्सा साल के पेड़ों से ही ढका हुआ है। जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सा बस्तर का है। इसलिए बस्तर को “”साल पेड़ों की भूमी” या “साल वन भूमि” भी कहा जाता है।

साल पेड़ की खासियत

अपनी कई खासियतों के लिए जाना जाने वाला साल का पेड़ सामान्य से काफी ऊंचा होता है। इसकी ऊंचाई 30-40 मीटर तक हो सकती है। पेड़ की छाल छाल मोटी व खुरदरी होती है। इसके पत्ते चौड़े, मोटे और अंडाकार होते हैं। पेड़ में हल्के पीले रंग के छोटे-छोटे फूल खिलते हैं, और इसके बीजों का उद्योगों में काफी उपयोग होता है।

बहुउपयोगी है साल की लकड़ी

अपनी लड़कियों के लिए मशहूर साल एक महंगी इमारती लकड़ी देता है। इसकी लकड़ियां काफी महंगे कीमत में बिकती है। साल अपनी मजबूती और टिकाऊपन के लिए जाना जाता है। इसका उपयोग फर्नीचर, भवन निर्माण और रेलवे स्लीपर बनाने में होता है। इसके अलावा, साल से निकलने वाला रेजिन (गोंद) औद्योगिक और औषधीय उपयोगों में काम आता है। 

सामाजिक और पर्यावरणीय महत्व

बस्तर के स्थानीय आदिवासी समुदायों के लिए साल उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। ये पत्ते सूखने के बाद दोना-पत्तल बनाने के काम आते हैं। पर्यावरणीय दृष्टि से साल के जंगल जलवायु संतुलन बनाए रखने और मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करते हैं। साल के पेड़ घने जंगलों का निर्माण करते हैं और छत्तीसगढ़ के समृद्ध जैव विविधता वाले पर्यावरण का हिस्सा हैं। ये पेड़ मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में मदद करते हैं और मिट्टी के कटाव को रोकते हैं। इनके जंगलों में विभिन्न वन्यजीव, पक्षी, और कीटों को अपना प्राकृतिक  आवास मिलता है। 

साल का औषधीय महत्व

रेजिन जिसे गोंद भी कहते हैं साल के पेड़ से मिलता है। इसका उपयोग औषधियों में किया जाता है। यह घाव भरने और स्किन के इनफेक्शन को ट्रीट करने में काफी काम आता है। बस्तर के आदिवासी साल की छाल और पत्तियों का उपयोग औषधी के रूप में पीढ़ियों से करते आ रहे हैं।

आदिवासियों के लिए पवित्र है साल

साल छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों के लिए आय और जीवन का प्रमुख स्रोत है। आदिवासी पत्तियों दोना-पत्तल बनाकर अपनी आजीविका चलाते हैं। साल के पेड़ कार रेजिन या गोंद कई तरह के घरेलू और औद्योगिक उपयोग में लाया जाता है। इससे भी आदिवासी और ग्रामीणों को रोजगार मिलता है। साल के पेड़ आदिवासी त्योहारों और परंपराओं में भी महत्वपूर्ण हैं। साल वृक्ष को पवित्र माना जाता है और इसका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। कई आदिवासी समुदाय इसे वन देवता का निवास मानते हैं। 

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Rishita Diwan

Content Writer

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