Chhattisgarhi Rajbhasaha Divas: 28 नवंबर को हर साल छत्तीसगढ राज्य अपना “राजभाषा दिवस” मनाता है। साल 2007 में इसी दिन छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग विधेयक पारित हुआ था। विधेयक के पास होने के बाद से इस दिन को राजभाषा दिवस के रूप में घोषित किया गया। छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए यह दिन एक विशेष महत्व रखता है। इसलिए 28 नवंबर को छोटे बड़े सरकारी संस्थानों और संगठनों के द्वारा कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग गठन
छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग का गठन कई बड़े उद्देश्यों से किया गया था। जिसमें राजभाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्जा दिलवाना, राजकीय कामों में छत्तीसगढ़ी भाषा का उपयोग करना और 13वें भाषा के रूप में छत्तीसगढ़ी को पाठ्यक्रम में शामिल करना है। छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के गठन के बाद ही छत्तीसगढ़ी को पाठ्यक्रम में शुरु किया गया। अब पोस्ट ग्रेजुएशन में एमए छत्तीसगढ़ी में भी की जा सकती है।
सुरेंद्र दुबे बने थे पहले सचिव
राजभाषा आयोग के गठन के बाद सुरेंद्र दुबे को आयोग का पहला सचिव गठित किया गया था। पद्मश्री डॉ सुरेंद्र दुबे छत्तीसगढ़ी की मशहूर लेखक और व्यंगकार हैं। सबसे पहले छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग की कार्यकारी बैठक 14 अगस्त, 2008 को हुई थी। इस दिन को छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग ‘कार्यालय स्थापना दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है।
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कई नामों से जानी जाती है छत्तीसगढ़ी
आपको बता दें छत्तीसगढ़ी भाषा को को दक्षिण कोसली और कोसली भाषा के नाम से भी जाना जाता है। जैसे-जैसे आप छत्तीसगढ़ के अलग-अलग इलाकों में जाते हैं आपको छत्तीसगढ़ी में उस इलाके का प्रभाव दिखेगा। छत्तीसगढ़ के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोग छत्तीसगढ़ी को खालताही कहते हैं, जिसका मतलब होता है नीचे रहने वालों की भाषा। ओडिशा से लगे छत्तीसगढ़ के इलाकों में छत्तीसगढ़ी को लारिया कहा जाता है।