Chandragiri Tirth: राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ में बन रहा भव्य मंदिर जैन समाज का प्रमुख तीर्थों में से एक है। चंद्रगिरी तीर्थ में बन रहा यह भव्य मंदिर राजस्थान के लाल पत्थरों से बनाया जा रहा है। यह मंदिर निर्माणाधीन होने के बाद भी श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बन चुका है। इस मंदिर के बनने के बाद यहां भगवान चंद्रप्रभु की 21 फुट लंबी प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इसके साथ ही अन्य जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाएं भी मंदिर में स्थापित की जाएंगी।
2011 से हो रहा है निर्माण
इस भव्य मंदिर के निर्माण की नींव 2011-12 में रखी गई थी। मंदिर का निर्माण कार्य 13 सालों से चल रहा है। मंदिर का निर्माण राजस्थान के कारीगरों द्वारा किया जा रहा है, जो अपनी कारीगरी और दक्षता के लिए प्रसिद्ध हैं। इस मंदिर का उद्देश्य जैन धर्म के अनुयायियों को एक आध्यात्मिक स्थल प्रदान करना है।
आचार्य विद्यासागर जी ने ली थी समाधि
चंद्रगिरी तीर्थ स्थल जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण स्थान बन चुका है। यहां जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का देवलोक गमन भी हुआ था। जैन धर्म के अनुसार, विद्यासागर जी ने सल्लेखना विधि से अपना शरीर का त्याग किया था। अब, चंद्रगिरी तीर्थ स्थल पर उनकी समाधि भी बनाने की योजना है जो इस जगह को और भी महत्वपूर्ण बना देती है। पूरे देश से जैन मुनि और उनके अनुयायी इस स्थान पर आकर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
चंद्रगिरी तीर्थ का महत्व
डोंगरगढ़ का चंद्रगिरी तीर्थ स्थल अब जैन धर्म के एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में उभर रहा है। यहां आने वाले श्रद्धालु सिर्फ जैन धर्म के धार्मिक कर्तव्यों का पालन नहीं करते, बल्कि जहां उन्हें आंतरिक शांति और आध्यात्मिक जागरण का भी अनुभव मिलता है। यह स्थान अब पूरे देश और विदेश से श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है और जैन धर्म के इतिहास और संस्कृति को संरक्षित रखने में मदद कर रहा है।