BRICS: दुनिया की पाँच सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं के एक समूह के रूप में ब्रिक्स संगठन की पहचान है। हाल ही में इसमें 5 देश शामिल हुए हैं। जिनमें मिस्त्र, ईरान, यूएई, सऊदी अरब और इथियोपिया शामिल हुआ है। जानते हैं इस संगठन में पहले से कौन से देश शामिल हैं और इनका काम क्या है? साथ ही ये भी जानेंगे इस संगठन में भारत की क्या भूमिका है?
ब्रिक्स के बारे में
BRICS ब्रिक्स में शामिल अंग्रेज़ी के अल्फाबेट B R I C S कुछ देशों के नाम के पहले शब्द हैं। हर अल्फाबेट एक देश का प्रतिनिधित्व करता है। इन देशों के नाम हैं-
B- ब्राज़ील
R- रूस
I – इंडिया (भारत)
C – चीन
S – दक्षिण अफ़्रीका
विशेषज्ञों को मुताबिक दुनियाभर में ये वो देश हैं जो साल 2050 तक विनिर्माण उद्योग, सेवाओं और कच्चे माल के प्रमुख सप्लायर यानी आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित हो सकते हैं।
ब्रिक्स का नाम कैसे पड़ा?
ब्रिक्स देशों के संगठन का नाम ब्रिटिश अर्थशास्त्री जिम ओ’निल ने दिया। उन्हें ये नाम निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स में काम करने के दौरान सूझा था। इस शब्द का शुरूआती स्वरूप BRIC था। साल 2010 में जब दक्षिण अफ़्रीका इस ग्रुप से जुड़ा तो ये BRICKS हो गया।
कब हुई ब्रिक्स की पहली बैठक?
ब्रिक्स (BRICKS) की पहली बैठक साल 2006 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुई। सितंबर 2006 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान इन देशों के विदेश मंत्रियों की औपचारिक बैठक के बाद ब्रिक्स को ब्रिक का नाम दिया गया था। बता दें कि ब्रिक देशों की पहली शिखर आधिकारिक बैठक 16 जून 2009 को रूस के येकाटेरिंगबर्ग में संपन्न हुई थी। अप्रैल 2011 में जब चीन के सान्या में ब्रिक्स की तीसरी शिखर सम्मेलन की बैठक हुई तब इसमें दक्षिण अफ़्रीका शामिल हुआ।
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खबरों में क्यों?
ब्रिक्स में 5 नए देश शामिल हुअ हैं। इन देशों में मिस्त्र, ईरान, यूएई, सऊदी अरब व इथियोपिया हैं। इन देशों के प्रतिनिधियों ने रूस की ओर से सोमवार को आयोजित की गई ब्रिक्स की बैठक में अपना प्रतिनिधित्व किया। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ट्वीट कर कहा कि “भारत, ब्रिक्स में शामिल हुए नए सदस्यों का तहेदिल से स्वागत करता है।”