Bhojeshwar Mandir: मध्यप्रदेश का गौरव!

Bhojeshwar Mandir: भारत के ऐतिहासिक मंदिरों में भोजेश्वर शिव मंदिर का विशेष स्थान है। मध्यप्रदेश के भोपाल से 32 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर, न केवल अपनी अद्वितीय कारीगरी बल्कि अधूरे निर्माण की कहानी के लिए भी प्रसिद्ध है। राजा भोज द्वारा निर्मित इस मंदिर को “उत्तर भारत का सोमनाथ” भी कहा जाता है।

भोजेश्वर मंदिर का निर्माण और इतिहास

भोजेश्वर मंदिर का निर्माण परमार वंश के महान राजा भोज ने कराया था। राजा भोज के नाम पर ही भोपाल का नाम पड़ा। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण मुगलों के भारत आने से पहले हुआ था। मंदिर के आसपास की सुंदर वादियां और पास बहती बेतवा नदी इसे प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर बनाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, वनवास के दौरान पांडवों ने इस मंदिर में पूजा की थी और संभवतः मंदिर निर्माण का आरंभ भी किया था।

अधूरा रह गया निर्माण

भोजेश्वर मंदिर के अधूरे निर्माण की कहानी धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों दृष्टिकोणों से रोचक है। मान्यता है कि मंदिर का निर्माण केवल एक रात में पूरा करना था। सूर्योदय होते ही निर्माण का कार्य रुक गया। रातभर में शिवलिंग और कुछ हिस्सों का निर्माण तो हो गया, लेकिन गुंबद और अन्य हिस्से अधूरे रह गए। आज भी मंदिर की दीवारों पर अधूरी मूर्तियां और रेखाएं इस अधूरे काम की गवाही देती हैं।

विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग

भोजेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग को विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है। इसकी लंबाई 18 फीट और व्यास 7.5 फीट है। यह शिवलिंग एक ही चट्टान को तराशकर बनाया गया है, जो इसे अद्वितीय बनाता है। मंदिर का मुख्य द्वार भी अपनी विशालता के लिए प्रसिद्ध है, जो किसी अन्य मंदिर से बड़ा है।

विशेष पूजा और मेले का आयोजन

मंदिर में जल अभिषेक के लिए भक्तों को जलहरी पर चढ़कर पूजा करनी होती थी। हालांकि, अब यह सुविधा केवल पुजारियों तक सीमित है। सावन के महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। साथ ही, साल में दो बार विशाल मेले का आयोजन होता है, जो इस स्थान को और भी खास बनाता है।

प्रकृति और भक्ति का संगम

भोजेश्वर मंदिर का परिवेश, जिसमें बेतवा नदी और हरी-भरी वादियां शामिल हैं, यहां आने वालों के लिए आध्यात्मिक और प्राकृतिक शांति का अनुभव कराता है।

अधूरे में भी संपूर्णता का प्रतीक

भोजेश्वर शिव मंदिर अधूरे निर्माण के बावजूद भक्ति, इतिहास और वास्तुकला का प्रतीक है। यह न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि भारत के गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का भी परिचायक है। यहां का शांत वातावरण और अद्वितीय कारीगरी हर आगंतुक को मंत्रमुग्ध कर देती है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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