Siddhi vinayak: गणेश जी के आठ रूप जो आठ जगहों पर स्थापित हैं उन्हें (ashtavinayak darshan) अष्टविनयाक कहते हैं। इनमें दूसरा क्रम आता है सिद्धिविनायक मंदिर का। यह मंदिर महाराष्ट्र के अहमद नगर के सिद्धटेक में स्थापित है। जानते हैं सिद्धीविनायक दर्शन का महत्व और उनसे जुड़ी मान्यताओं के बारे में।
सिद्धिविनायक मंदिर
सिद्धिविनायक मंदिर पुणे से 200 किलोमीटर दूर अहमद नगर जिले के सिद्धटेक नाम की जगह में है। यह मंदिर भीमा नदी के किनारे स्थापित है। कहा जाता है मंदिर का निर्माण करीब 200 साल पहले हुआ था। अष्टविनायक दर्शन पर निकले श्रद्धालु मयुरेश्वर गणपति के दर्शन के बाद सिद्धिविनायक के दर्शन के लिए आते हैं। गणेश उत्सव पर 10 दिनों तक सिद्धिविनायक मंदिर में बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
सिद्धिविनायक मंदिर की खासियत
सिद्धिविनायक (siddivinayak) मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है। मंदिर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा की ओर है। यहां विराजित गणेश जी की मूर्ति 3 फीट ऊंची और करीब ढाई फीट चौड़ी है। अष्टविनायक में सिद्धिविनायक ही एक ऐसी मूर्ति है जिनका सूंड दाई ओर मुड़ा हुआ है। यह सिद्धिविनायक को अपने आप में अद्भुत बनाता है।
सिद्धिविनायक से जुड़ी मान्यता
सिद्धिविनायक से जुड़ी यह मान्यता है कि भगवान विष्णु ने सिद्धटेक की पहाड़ी पर ही अपने तप से कई सिद्धियां पाई थी। कहते हैं यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना को गणपति के आशीर्वाद से सिद्धी मिलती है यानी यहां हर मनोकामना पूरी होती है। इसलिए यहां विराजित गणेश जी को सिद्धिविनायक कहते हैं। यहां आने वाले भक्त अपनी इच्छापूर्ति के लिए सिद्धटेक पहाड़ी की परिक्रमा भी करते हैं।
किसने कराया मंदिर का निर्माण?
सिद्धिविनायक के मुख्य मंदिर का निर्माण किसने कराया इसकी सटीक जानकारी नहीं है। लेकिन वर्तमान में जो मंदिर है उसे इंदौर की रानी देवी अहिल्याबाई ने पुनर्निर्माण करके बनवाया था। यह मंदिर काले पत्थरों से बना हुआ है। मंदिर का गर्भ गृह 10 फीट चौड़ा और 15 फीट ऊंचा है। मंदिर का मुख उत्तर की ओर है। बाद में मंदिर के आसपास और भी छोटे-छोटे निर्माणकार्य हुए जिसे अलग-अलग लोगों ने कराया।