

BRO बना रहा है दुनिया की सबसे ऊंची सड़क
लद्दाख के डेमचोक सेक्टर में होगा निर्माण
‘लिकरू-मिग ला-फुकचे’ होगा नाम
लद्दाख के डेमचोक सेक्टर में होगा निर्माण
‘लिकरू-मिग ला-फुकचे’ होगा नाम
भारत के बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) दुनिया की सबसे ऊंची सड़क बना रही है। इसके लिए बीआरओ ने दुनिया की सबसे ऊंची सड़क का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। यह सड़क लद्दाख के डेमचोक सेक्टर में बनकर तैयार होगी। जिसे ‘लिकरू-मिग ला-फुकचे’ नाम से जाना जाएगा। दुनिया की सबसे ऊंची यह रणनीतिक सड़क 19,400 फीट की ऊंचाई से होकर गुजरेगी और उमलिंग ला दर्रा को पार करेगी। ये सड़क दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क बन बनेगी।
LAC से सिर्फ तीन किलोमीटर दूर होगी सड़क
यह सड़क वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सिर्फ तीन किलोमीटर की दूरी पर है। सड़क निर्माण की कमान महिला इंजीनियरों की पांच सदस्यीय टीम कर्नल पोनुंग डोमिंग के नेतृत्व में है।
19,400 फीट की ऊंचाई पर बन रही है सड़क
सड़क के संबंध में बीआरओ से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि नई सड़क अपने उच्चतम बिंदु पर 19,400 फीट की ऊंचाई पर बनेगी। तैयार होने पर यह सड़क उमलिंग ला दर्रे को पार करते हुए दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क बन जाएगी। दुनिया की मौजूदा सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क का निर्माण भी बीआरओ द्वारा ही हुआ था।
खास बात ये है कि दो साल पहले बीआरओ ने 19,024 फीट की ऊंचाई पर लद्दाख के उमलिंग ला में दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क का निर्माण और ब्लैकटॉपिंग करके विश्व रिकॉर्ड दर्ज किया था जिसे वो इस सड़क को बनाकर खुद तोड़ने को तैयार है।
महिला इंजीनियरों की पांच सदस्यीय टीम बना रही है सड़क
इस सड़क की खास बात यह है कि लिकारू-मिग ला-फुकचे सड़क का निर्माण बीआरओ की एक महिला इकाई के द्वारा शुरू किया गया है। महिला इंजीनियरों की पांच सदस्यीय टीम की कमान कर्नल पोनुंग डोमिंग संभाल रही हैं, जो सड़क निर्माण की निगरानी में कार्यरत् है।
अधिकारियों की तरफ से कहा गया है कि लिकारू-मिग ला-फुकचे सड़क का निर्माण ऐसे समय में शुरू हो रहा है, जब लड़ाकू अभियानों का समर्थन करने के लिए लद्दाख में न्योमा उन्नत लैंडिंग ग्राउंड को अपग्रेड किया गया है। न्योमा में हवाई पट्टी को सितंबर, 2009 में फिर से एक्टिव किया गया था। यह 1962 के युद्ध के बाद से कई सालों तक इस्तेमाल में नही थी। इससे पहले भारत ने नवंबर, 2008 में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित फुकचे में एक हवाई पट्टी को फिर से एक्टिव किया था। दरअसल, 1962 के युद्ध के बाद दशकों तक इस हवाई पट्टी का भी इस्तेमाल भी बंद हो गया था।