भारत में औसतन एक कर्मचारी प्रति सप्ताह 46.7 घंटे काम करता है। यह आंकड़ा दुनिया के कई अन्य देशों के मुकाबले अधिक है, जहां औसतन काम करने के घंटे कम होते हैं
दुनिया भर में विभिन्न देशों में वर्किंग ऑवर्स के बारे में काफी भिन्नताएं हैं। कुछ देशों में कामकाजी घंटों का पालन बेहद सख्ती से किया जाता है, जबकि कुछ देशों में यह फ्लेक्सिबल होता है।
भारत में काम के घंटे आमतौर पर सप्ताह में 48 घंटे होते हैं, यानी 6 दिन में 8 घंटे का काम। हालांकि, कुछ कंपनियों और उद्योगों में यह समय अधिक भी हो सकता है, खासकर ओवरटाइम और असामान्य कार्य शिफ्ट्स के कारण।
दुनिया के अन्य देशों में: दुनिया के कुछ देशों में औसतन 40-50 घंटे काम करने का सामान्य रिवाज है:
जापान: जापान में काम के घंटे कभी-कभी 50 घंटे तक बढ़ सकते हैं, और यहां पर ओवरटाइम काफी सामान्य है।
दक्षिण कोरिया: यहां भी काम के घंटे लंबे होते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में सरकार ने इसे घटाने के लिए कदम उठाए हैं।
फ्रांस: यहां के कामकाजी घंटों की सीमा सप्ताह में 35 घंटे है, जो दुनिया के अन्य देशों से कम है।
भारत में वर्किंग ऑवर्स और ओवरटाइम के बारे में निर्धारित नियम फैक्ट्रीज़ एक्ट, 1948 और अन्य श्रम कानूनों में उल्लेखित हैं। इसके तहत काम के घंटे और ओवरटाइम की स्थिति को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।
वर्किंग ऑवर्स (काम के घंटे) पर कानून
भारत में, फैक्ट्रीज़ एक्ट, 1948 के तहत, एक दिन में अधिकतम 8 से 9 घंटे तक काम कराया जा सकता है। सप्ताह में कुल अधिकतम काम के घंटे 48 घंटे निर्धारित किए गए हैं। यानी छह दिन में, हर दिन 8 घंटे काम करने का प्रावधान है। इसके अलावा, अगर कोई कर्मचारी नियमित काम के घंटों से अधिक काम करता है, तो इसे ओवरटाइम माना जाता है।
ओवरटाइम और मेहनताना
अगर कोई कर्मचारी निर्धारित समय से अधिक काम करता है, तो उसे ओवरटाइम का मेहनताना मिलता है। भारतीय श्रम कानून के अनुसार, ओवरटाइम के लिए कर्मचारी को उसकी सामान्य दर से दोगुना मेहनताना दिया जाना चाहिए। यानी यदि सामान्य घंटे में कर्मचारी को 100 रुपये मिलते हैं, तो ओवरटाइम के लिए उसे 200 रुपये मिलेंगे।
कहां शिकायत करें?
यदि कंपनी ओवरटाइम के लिए उचित मेहनताना नहीं देती है या काम के घंटे के नियमों का उल्लंघन करती है, तो कर्मचारी निम्नलिखित स्थानों पर शिकायत कर सकते हैं:
- श्रम आयुक्त (Labour Commissioner): कर्मचारी अपने राज्य के श्रम आयुक्त के पास शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
- मजदूर संघ (Trade Union): कर्मचारी अपने संबंधित मजदूर संघ से भी सहायता ले सकते हैं, जो उनके अधिकारों की रक्षा करता है।
- कर्मचारी न्यायालय (Labour Court): अगर कर्मचारी को उचित समाधान नहीं मिलता है, तो वे श्रम न्यायालय में अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
- ई-गवर्नेंस पोर्टल (E-Governance Portal): भारत सरकार ने श्रम मंत्रालय के तहत एक ई-गवर्नेंस पोर्टल शुरू किया है, जहां कर्मचारी अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज कर सकते हैं।
नियमों का उल्लंघन
अगर कोई कंपनी वर्किंग ऑवर्स और ओवरटाइम के नियमों का उल्लंघन करती है, तो उसके खिलाफ विभिन्न प्रकार की कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, या लाइसेंस रद्द भी किया जा सकता है. श्रम कानूनों के उल्लंघन पर कंपनी पर जुर्माना लगाया जा सकता है।