

रंगों का त्योहार होली करीब आ रहा है। अलग-अलग रंग और गुलाल के साथ उमंगों का यह त्यो हार राजस्थान समेत देश-विदेश, हर जगह मनाया जाता है। पुराने ज़माने में फूलों के रंग का इस्तेमाल होली खेलने में होता था, लेकिन वक़्त बदला और केमिकल से बने रंगों ने उनकी जगह ले ली। केमिकल से बने रंगों की वजह से होने वाले नुकसान से बचने के लिए एक बार फिर लोग इको फ्रेंडली रंगों की तरफ रुचि दिखाने लगे हैं। इस बार की होली में बाजार में आपको कई तरह के हर्बल गुलाल मिल जाएंगे। जयपुर में इस बार फूलों से बने हर्बल गुलाल की जगह गोबर से बने गुलाल से होली खेली जाएगी।
जयपुर में होली की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। शहर के हर बड़े मंदिर में फागोत्सव मनाया जा रहा है। इसी बीच जयपुर के भीम राज ने इस बार एक नया इनोवशन किया है। उनका मानना है कि होली रंगों का त्योतहार है और इस दिन हर किसी को रंगों से होली खेलनी चाहिए। बाजार में मिल रहे केमिकल कलर्स से एलर्जी और स्किन खराब होने का डर से कुछ लोग नहीं खेल पाते हैं। इन सबको ध्यान में रखते हुए इस बार गोबर से गुलाल बनाया गया है जो 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक है।
पूरी तरह ऑर्गेनिक है यह गुलाल
भीम राज ने बताया कि यह गुलाल पूरी तरह ऑर्गेनिक है। गुलाल को बनाने में गोबर को एक दम बारीक पीसा गया है। उसके बाद उसमें अरारोट का इस्तेमाल कर कलर देने के लिए फूड कलर्स का इस्तेमाल किया गया है, जो आम तौर पर खाने की सामग्री में शामिल किए जाते हैं। इससे किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है। साथ ही फूलों का भी इस्तेमाल किया गया। वहीं, गोबर की स्मेल न आए इसके लिए सबसे पहले गोबर को सुखाया गया है।
गोकाष्ठ से होलिका दहन
इस बार होली को इको फ्रेंडली तौर पर मनाया जा रहा है। गोसेवी संगठनों और गोशाला प्रबंधन के अथक प्रयास से इस बार अधिक स्थानों पर होलिका दहन गोकाष्ठ से किया जाएगा। जयपुर में 20 से 25 स्थानों पर गोकाष्ठ वितरण केन्द्र बनाए गए हैं। शहर की विकास समितियों की ओर से भी गोकाष्ठ से होलिका दहन की कवायद की जा रही है।

