HIGHLIGHTS:
• सरोगेसी से प्राप्त बच्चे की देखभाल के लिए तमिलनाडू की पहल
• महिला कर्मचारियों और महिला शिक्षिकाओं को मिलेगी 270 दिन की छुट्टी
• तमिलनाडू की समाज कल्याण और महिला अधिकारिता मंत्री पी गीता ने की घोषणा
तमिलनाडू सरकार राज्य के महिला कर्मचारियों के लिए पहल कर रही है। जिसके तहत ऐसी महिलाएं जो सरोगेसी के जरिए मां बनेंगी उन्हें, बच्चों की देखभाल के लिए 270 दिनों की छुट्टी मिलेगी। तमिलनाडू की समाज कल्याण और महिला अधिकारिता मंत्री पी गीता जीवन ने 21 अप्रैल को विधानसभा में इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि सरकारी महिला कर्मचारियों और शिक्षकों को सरोगेसी के माध्यम से प्राप्त अपने बच्चों की देखभाल के लिए 270 दिनों की छुट्टी दी जाएगी।
‘बाल रखरखाव अवकाश’
पी गीता जीवन ने विधानसभा में कहा कि- सरोगेसी से बच्चा प्राप्त करने वालों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में महिला सरकारी कर्मचारियों की मदद करने के लिए और सरोगेसी के माध्यम से बच्चे प्राप्त करने वाले शिक्षकों को 270 दिनों का ‘बाल रखरखाव अवकाश’ मिलेगा। इससे महिला सरकारी कर्मचारियों को सरोगेसी के माध्यम से दिए गए नवजात शिशुओं की देखभाल करने में मदद मिलेगी।
क्या होगी है सरोगेसी?
सरोगेसी का यानी कि अपनी पत्नी के अलावा किसी दूसरी महिला के कोख में बच्चे को पालना। जो कपल माता-पिता बनना चाहते हैं, लेकिन वह बच्चा पैदा नहीं करना चाहते वह ऐसा करते हैं। इसमें पुरुष के स्पर्म उस महिला के कोख में प्रतिरोपित किया जाता है। जिसकी कोख किराए पर ली जाती है। फिर वह महिला प्रेग्नेंट होती है और बच्चे को जन्म देती है। इसे ट्रेडिशनल सरोगेसी कहा जाती है। दूसरी तरह की सरोगेसी को जेस्टेशनल सरोगेसी कहा जाता है। जिसमें बच्चे की चाह रखने वाले पुरुष के स्पर्म और बच्चे की चाह रखने वाली मां के अंडे का मेल टेस्ट ट्यूब में कराने के बाद सरोगेट मदर या उस महिला के यूट्रस में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। जिसकी कोख किराए पर ली गई है।