गरूद्वारे में अक्सर आपने सेवादारों को देखा
होगा जो पूरी श्रद्धाभाव से गरीबों के लिए खाना बनाते हैं, उनकी सेवा करते हैं। महामारी
के दौरान भी सिक्ख समुदाय ने जरूरतमंद लोगों की सहायता की। लेकिन नांदेड़ के गुरुद्वारा तख्त श्री हजूर साहिब (Gurudwara
Takht Shri Hazoor Sahib)
ने जो किया उससे किसी भी धार्मिक स्थल को प्रेरणा लेनी चाहिए ।
गुरुद्वारा तख्त श्री हजूर साहिब (Gurudwara
Takht Shri Hazoor Sahib)
ने ये ऐलान किया है कि पिछले 50 सालों में गुरुद्वारे में जितना भी सोना इकट्ठा हुआ है। वो सभी मेडिकल
इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए दान किया जाएगा। और दान के इन पैसों से अस्पताल और मेडिकल की
जरूरी सामानों की पूर्ति की जाएगी।
गुरुद्वारे
की तरफ से कहा गया है,
कि “
गुरुद्वारे में 50 साल
से जमा हुए सोने को दान कर देंगे। और
इन पैसों से हॉस्पिटल बनाए जाएंगे। ये फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि नांदेड़
के लोंगे के पास इलाज करवाने के लिए कोई
बेहतर विकल्प नहीं है। ऐसे में यहां के लोगों को इलाज के लिए
हैदराबाद और मुंबई जैसे बड़े शहरों का रूख करना पड़ता था।
महामारी के इस दौर में जहां पूरा देश चिकित्सा सुविधा के लिए
जद्दोजहद में लगा हुआ है वहीं गुरुद्वारा तख्त श्री हजूर
साहिब के इस पहल से स्थानीय लोगों को चिकित्सा सुविधा आसानी से मिल
पाएगी ।
हजूर
साहिब सिक्खों
के 5 तख्त में से एक है। यहां स्थित गुरुद्वारा ‘सच
खण्ड‘ कहलाता
है।
इस
गुरुद्वारा का निर्माण 1832
और 1837 के
बीच में हुआ
था।
गोदावरी नदी के किनारे बसा शहर
नांदेड़ हजूर साहिब सचखंड गुरूद्वारे के लिए पूरे
विश्व में प्रसिद्ध है। यहां पर
हर साल दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु आते हैं और मत्था
टेकते हैं।
साल 1708 से
पहले गुरु गोविन्द सिंह जी धर्म प्रचार के लिए यहां अपने कुछ अनुयायियों के साथ रुके
थे।
गुरुद्वारे की ये पहल हम सब को ये सीख देती है कि ईश्वर की मर्जी
भी अपने बाशिंदों के भले के लिए होती है । भारत भर में ऐसे कई मंदिर, मस्जिद और गुरद्वारे
हैं जहां अकूत संपत्ति और धन संपदा है। जिसका उपयोग स्थानीय लोगों और धार्मिक स्थलों
की देखभाल और परोपकारी कार्यों में लगाए जाते हैं लेकिन नांदेड़ के गुरुद्वारा तख्त श्री हजूर साहिब (Gurudwara
Takht Shri Hazoor Sahib) की ये पहल अतुलनीय है।