Shramik Anna Yojna: प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय राज्य के चहुमुखी विकास की ओर लगातार तत्पर हैं। उन्होंने राज्य की आधारभूत संरचनाओं के विकास के साथ हर वर्ग के लोगों का भी पूरा ध्यान रखा है। राज्य में महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है। सकार ना सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य और रोजगार का ध्यान रख रही है बल्की मजदूर वर्ग के खाने की भी व्यवस्था कर रही है। इसी उद्देश्य से प्रदेश में शहीद वीरनाराण श्रम अन्न योजना चलाई जा रही है।
क्या है श्रमिक अन्न योजना?
शहीद वीर नारायण श्रमिक अन्न योजना विशेषतौर से प्रदेश के मजदूरों के लिए शुरु की गई है। योजना का उद्देश्य घर से दूर काम कर रहे मजदूरों को गरम और पौष्टिक खाना उपलब्ध कराना है। योजना के तहत जगह-जगह श्रम कैंटिन तैयार किए गए हैं। इन कैंटिन में श्रमिकों को मात्र 5 रुपए में भरपेट खाना उपलब्ध कराया जाता है। कैंटिन में इस बात का खास ध्यान दिया जात है कि मजदूरों को गरम और पोषण से भरपूर भोजन दिया जाए।
किस तरह के खाने का है प्रावधान
प्रदेश सरकार ने इस योजना में सिर्फ 5 रुपए में दाल, चावल, सब्जी, अचार और कभी-कभी पापड़ भी दिया जाता है। यहां हफ्ते के 6 दिन यानी सोमवार से शनिवार खाना उपलब्ध रहा है। वहीं रविवार को श्रम कैंटीन में अवकाश रखा गया है। यहां हफ्ते के 7 दिन अलग-अलग सब्जियां दी जाती है। कोशिश की जाती है कि पहले खाने वाले से आखिर तक खाने वाले मजदूर को गरम खाना ही परोसा जा सके।
दूसरे जिलों में भी होगी शुरुआत
यह योजना 2017 में ही शुरु हो गई थी लेकिन प्रदेश में विष्णुदेव साय की सरकार आने के बाद इस योजना को फिर से शुरु किया गया। भाजपा सरकार में इस योजना को कोरबा जिले से फिर से शुरु किया गया। योजना की शुरुआत उन स्थानों से की गई जहां उद्योग और पॉवर प्लांट हैं। ऐसी जगहों पर ही मजदूर सुबह जल्दी घर से निकलने की वजह से खाना साथ नहीं ला पाते हैं। ऐसे में प्लांट के आस –पास श्रम कैंटीन होने से अब मजदूरों को भोजन की चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ रही है। सरकार का कहना है कि इस योजना के तहत राज्य में कम से कम 22 से 23 जिलों में श्रम कैंटीन खोला जाएगा।
श्रम कैंटीन से खुश हैं मजदूर
श्रम कैंटीन और वहां के खाने से प्लांट के मजदूर भी काफी खुश हैं। मजदूरों का कहना है कि अब उन्हें घर से खान लाने या खाना खाने के लिए यहां वहां भटकने की जरूरत नहीं पड़ती। प्लांट के पास ही कैंटीन होने से मजदूरों के समय की भी बचत होती और कम दाम में खाना मिलने से पैसों की भी बचत हो रही है।