Rose Farming in Bastar: कभी लाल आतंक के साय में रहने वाले बस्तर के लाल गुलाब अब पूरे देश में अपनी खुशबू फैला रहे हैं। बस्तर के किसान अब परंपरागत खेती से आगे बढ़कर आधुनिक खेती के गुर सीख भी रहे हैं और मुनाफा भी कमा रहे हैं। बस्तर में अब किसान गुलाब की खेती (Rose Farming in Bastar) कर खुद भी आर्थिक रूप से मजबूत बन रहे हैं साथ-साथ दूसरे किसानों को भी प्रेरणा दे रहे हैं।
लाखों का मुनाफा कमा रहे किसान
बस्तर में खिल रहे गुलाब देश के कई दूसरे राज्यों में भेजे जाते हैं। सबसे पहले गुलाब की खेती (Rose Farming in Bastar) 2020 में शुरु की गई थी। शुरुआत में किसानों के मन में इस बिल्कुल हट कर की जाने वाली खेती को लेकर शंका थी। लेकिन बाद में मांग और मुनाफे ने उनका आत्म विश्वास बढ़ा दिया। धीरे-धीरे करके आज 30 किसानों ने गुलाब की खेती को अपना लिया है। ये किसान हर दिन लगभग 50 हजार फूलों का उत्पादन करते हैं। वहीं अगर हम मुनाफे की बात करें तो किसानों ने प्रति एकड़ 10 से 12 लाख रुपए तक भी मुनाफा कमाया है।
सरकार से भी मिल रहा प्रोत्साहन
छत्तीसगढ़ सरकार हमेशा से ही किसानों को आधुनिक खेती के लिए प्रोत्साहित करती है। छत्तीसगढ़ कृषि विभाग की तरफ से किसानों के लिए कई योजनाएं भी चलाई जा रही है। इन योजनाओं के तहत किसानों को आधुनिक खेती के तरीकों से जुड़ी ट्रेनिंग दी जाती है। गुलाब की पाली हाउस खेती (Rose Farming in Bastar)के लिए भी सरकार 50 फीसदी तक सब्सिडी दे रही है। किसानों को इस सब्सिडी का फायदा लेने के लिए उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग की वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन करना होता है।
देसी और विदेशी ब्रीड की हो रही खेती
बस्तर का जमावाड़ा गांव जो जगदलपुर जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर है यहां गुलाब की कई विदेशी किस्मों की भी खेती की जा रही है। गुलाब की इन किस्मों में डच रोज, जुमेलिया रोज और पिंक रोज शामिल है। आपको बता दें डच रोज सिर्फ देखने में ही खूबसूरत नहीं होता बल्की इसका रस में काफी स्वादिष्ट होता है। कहा जाता है डच रोज का जूस गन्ने के रस की तरह मीठा होता है। जमावाड़ा गांव में हो रही रोज की खेती राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की स्कीम वाणिज्यिक बागवानी के तहत की जा रही है।
दूसरे किसान भी ले रहे रुचि
जमावाड़ा में हो रही गुलाब की खेती को देखकर अब आस-पास के किसान भी गुलाब की खेती में रुचि दिखा रहे हैं। कई किसानों ने अपनी सब्जी और धान की खेती की जगह अब गुलाब की खेती करना शुरु कर दिया है। किसान पारंपरिक खेती की अपेक्षा गुलाब की खेती से मुनाफा भी डबल कमा रहे हैं। शादी-ब्याह और उत्सवों में गुलाब से की जाने वाली सजावट के कारण लोकल मार्केट में भी गुलाब की मांग है। साथ ही ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों से कॉन्ट्रैक्ट करके भी गुलाब के लिए अच्छा खासा बाजार बनाया जा सकता है।
दूसरे फूलों पर भी रो रहा एक्सपेरिमेंट
गुलाब की खेती के गुर सीखकर और मुनाफा कमाकर किसान अब दूसरे फूल लगाकर भी आजमा रहे हैं। फूलों की खेती के लिए प्रशिक्षण और बस्तर की जलवायु दोनों ही फायदा पहुंचा रही है। अब जगदलपुर के साथ-साथ नारायणपुर, कोंडागांव के किसान भी फूलों की खेती को आगे बढ़ा रहे हैं। किसान अब सिर्फ गुलाब की ही खेती तक सीमित नहीं हैं। बल्की जरबेरा और सेवंती जैसे फूल लगाकर भी एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं।
Positive सार
नक्सलियों के खौफ के लिए जाना जाने वाला बस्तर अब अपनी अप्रतिम प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन के लिए भी पूरे देश में जाना जाने लगा है। बस्तर में जिस तेजी से फूलों की खेती की तरफ रुझान बढ़ रहा है जल्द ही यहां की घाटिया अपने फूलों के लिए भी जानी जाने लगेगी। परंपरागत खेती से हटकर फूलो की खेती की ओर बढ़ते किसान ने नए बस्तर और विकास की ओर अग्रसर छत्तीसगढ़ का उदाहरण पेश कर रहे हैं।
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