

पेड़-पौधे संतुलित पर्यावरण का एक अहम हिस्सा हैं। पर बढ़ते शहरीकरण और मानवीय कारकों ने पेड़ पौधों को काफी नुकसान पहुंचाया है। और यही वजह है कि आज पूरी दुनिया पर्यावरण प्रदूषण और वायु संबंधी परेशानियों का सामना कर रही है। अक्सर यह तर्क दिया जाता है कि सड़क, हाइवे और इमारतों के लिए पेड़ों को काटा जा रहा है। जो कि कई बार जरूरी भी हो जाता है कि बड़े इफ्रास्ट्रक्चर के लिए पेड़ों को काटना पड़े। लेकिन अब पेड़ों को काटने के बजाय शिफ्ट करने का काम भी भारत में शुरू हो गया है। जिससे हरे-भरे और घने पेड़ों को एक जगह से दूसरी जगह पर रिलोकेट किया जा सकेगा। यानी कि ट्री प्लांटेशन की मदद से पेड़ों को काटा नहीं जाएगा।
क्या है ट्री प्लांटेशन?
ट्री प्लांटेशन के जरिये सभी छोटे बड़े पेड़ो को ज़मीन से निकाल कर दूसरी लोकेशन में लगाया जाता है। ट्री प्लांटेशन में शोध के जरिये पेड़ की हेल्थ कैसी है, मिट्टी कैसी है, खर्च कितना होगा और दूरी कितनी है। इन सभी बातों का पता लगाया जाता है। इस प्रॉसेस के लिए केवल उन्हीं पेड़ो को शिफ्ट किया जाता है जिनकी जड़े बहुत अंदर तक सीधी न जाती हों।,जैसे नीम का पेड़, आम का पेड़ , अमरूद का पेड़ इन सब पेड़ो का ट्रांसप्लांटेशन आसान नहीं होता और साथ ही ट्री प्लांटेशन के लिए मौसम भी एक अहम भूमिका निभाती है। गर्मियों ट्री प्लांटेशन के लिए सही समय नहीं होता, सर्दियों या वसंत में इसे प्रोसेस किया जा सकता है। केवल बड़े पेड़ ही नहीं छोटे पेड़ों को भी रिलोकेट या ट्रांसप्लान्ट किया जा सकता है।
खबरों में क्यो ?
दरअसल दिल्ली में सेंट्रल विस्टा साइट पर डेवलपमेंट तेजी से हो रहा है। जहां पर मौजूद घने पेड़ इस जगह की पहचान हैं। इन पेड़ों को काटने की बजाय सरकार ने 1 हजार 51 पेड़ों को दूसरी जगह पर शिफ्ट किया है। जिससे कई पेड़ों को बचाया जा सका है।
पेड़ है जो जीवन है, हम हैं और हमारा सुंदर भविष्य भी है। इसीलिए पेड़ों को सुरक्षित रखना और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना भी हमारी जिम्मेदारी है।