Paris Olympic 2024: ओलंपिक 2024 को अब काफी कम दिन रह गए हैं। हर चार साल में एक बार होने ओलंपिक को इस साल पेरिस होस्ट करने वाला है। भारतीय खिलाड़ी भी पिछली बार से ज्यादा मेडल लाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। ओलंपिक 2024 की सीरीज में आज हम बात करेंगे तीरांदाजी की। पहले जानते हैं भारत को तीरंदाजी में कौन करेगा रिप्रेजेंट…
धीरज बोम्मादेवरा
भारतीय तीरंदाज धीरज बोम्मादेवरा ने थाईलैंड के बैंकॉक में एशियन कॉन्टिनेंटल क्वालीफायर टूर्नामेंट 2023 में सिल्वर मेडल हासिल किया था। वो पहले भारतीय खिलाड़ी थे जिन्होंने भारत का पहला पेरिस 2024 ओलंपिक कोटा हासिल किया।
तीरंदाजी का इतिहास
सबसे प्राचीन खेलों में से एक है तीरंदाज़ी। भारतीय इतिहास में तो इसका लंबा चौड़ा उल्लेख मिलता है। वहीं मानव सभ्यता के विकास के जड़ों में इसका जिक्र है। ऐतिहासिक रूप से, शिकार और युद्ध के लिए तीरंदाज़ी की जाती थी। इसके उपयोग के सबसे पहले प्रमाण सिबुदु गुफ़ा मिलता है। ये दक्षिण अफ़्रीकी में स्थित है। जहां लगभग 64,000 साल पहले के तीर के निशान मिले हैं। दुनिया का पहला तीरंदाज़ी टूर्नामेंट चीन में झोउ राजवंश (1027‑256 ईसा पूर्व) के शासनकाल में आयोजित किया गया था। साल 1931 में, यह खेल दुनिया भर में आगे बढ़ा और अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज़ी महासंघ की शुरूआत की गई। ये अब वर्ल्ड आर्चरी के नाम से अपनी पहचान रखता है।
ओलंपिक में तीरंदाजी
Paris Olympic 2024 की बात करें तो इस बार तीरंदाजी काफी खास होगा। तीरंदाज़ी को पहली बार पेरिस में ही शामिल किया गया था। ये 1900 के ओलंपिक खेलों की बात है। इसके बाद कई सालों तक आर्चर को ओलंपिक में शामिल नहीं किया गया। 52 सालों बाद पहली बार तीरंदाज़ी सेंट लुइस (1904), लंदन (1908) और एंटवर्प (1920) ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया। इसके बाद फिर से इसे बंद कर दिया गया।
साल 1972 के म्यूनिख ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में तीरंदाज़ी को एक बार फिर लाया गया। और तब से यह ओलंपिक अभिन्न हिस्सा है। बता दें कि अब तक Olympic की तीरंदाज़ी स्पर्धा में रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया सबसे आगे है। कोरिया ने अब तक 27 गोल्ड, 9 सिल्वर और और 7 ब्रॉज मेडल जीते हैं।