1999 में एक हॉलीवुड फिल्म ‘मैट्रिक्स’ आई, जिसमें दिखाया गया था कि एक फैक्ट्री में इंसान पैदा किए जा रहे हैं। इस फिल्म ने दुनिया भर के लोगों को हैरान किया था। लेकिन क्या आपको लगता है कि महिला गर्भ के बिना बच्चों को पैदा
करना संभव है?
साइंटिस्ट और फिल्ममेकर हाशम अल-घाइली ने इस सवाल का जवाब ‘हां’ में दिया है। घाइली ने दावा किया है कि जल्द उनकी ‘इक्टोलाइफ’ कंपनी में एक पॉड यानी एक तरह के मशीन में बच्चा पैदा करना संभव होगा।
‘बेबी पॉड’ क्या है और ये कैसे काम करता है?
‘बेबी पॉड’ एक मशीन है, जिससे बच्चेदानी के बिना बच्चा पैदा किया जा सकता है। इस मशीन को किसी महिला के गर्भ की तरह ही डिजाइन किया गया है। इसलिए इसे आर्टिफिशियल गर्भ भी कहते हैं।
ये मशीन कैसे काम करती है, इस बात को समझने के लिए ये जानना जरूरी है कि गर्भ में भ्रूण कैसे पलता है।
दरअसल, गर्भ में कोई भ्रूण एक प्लेसेंटा के जरिए मां की शरीर से ऑक्सीजन, पोषक तत्व और हार्मोन प्राप्त करता है।
इस समय बच्चा जो कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है वह मां की खून में मिल जाता है और बाहर निकल जाता है। गर्भ में भ्रूण के लिए एक निश्चित तापमान और वातावरण भी होता है। ‘बेबी पॉड’ भी किसी महिला के गर्भ की तरह ही भ्रूण को पलने-बढ़ने में मदद करता है।
‘बेबी पॉड’ के जरिए बच्चा पैदा करने का प्रोसेस क्या है?
अगर किसी पुरुष को इनफर्टिलिटी की समस्या है और कोई महिला मां नहीं बन पा रही तो इस तकनीक का सहारा लिया जा सकेगा।
इसके लिए सबसे पहले मशीन में पुरुष के स्पर्म और किसी महिला के एग को मिलाया जाता है। इसके बाद किसी गर्भ की तरह ये मशीन काम करना शुरू कर देती है।
‘बेबी पॉड’ में मॉडर्न सेंसर लगाए गए हैं, जिसे एक ऐप से कनेक्ट किया गया है। इस ऐप से मां-बाप रियल टाइम स्किन, धड़कन, टेंपरेचर, हार्टबीट, ऑक्सीजन लेवल, ब्लड प्रेशर, ब्रीदिंग रेट, दिल, दिमाग, किडनी, लिवर और शरीर के बाकी अंगों को मॉनिटर कर सकेंगे।
महिला गर्भ की तरह ही इस आर्टिफिशियल गर्भ में भी ‘एम्निगओटिक फ्लूइड’ डाला जाता है। 9 महीने बाद इस फ्लूइड को निकालने के बाद नवजात को भी मशीन से निकाल लिया जाता है।
क्या नेचुरल गर्भ से आर्टिफिशियल गर्भ अलग होगा?
जवाब: इस टेक्नोलॉजी पर काम करने वाले साइंटिस्ट घाइली ने दावा किया है कि ये आर्टिफिशियल गर्भ इतना एडवांस होगा कि इसके बारे में सामान्य व्यक्ति सोच भी नहीं सकता। उन्होंने कहा- मां-बाप अब मनचाहा बच्चा पैदा कर सकेंगे।
इस आर्टिफिशियल गर्भ में बच्चे की बुद्धि का स्तर, ऊंचाई, बाल, आंखों का रंग, शारीरिक शक्ति और स्किन का कलर तक सेट किया जा सकता है।
सवाल 5: आर्टिफिशियल गर्भ की जरूरत क्यों महसूस हुई?
जवाब: आर्टिफिशियल गर्भ की जरूरत पर साइंटिस्ट अल-घाइली ने दावा किया है कि कृत्रिम गर्भ सुविधा जापान, बुल्गारिया और दक्षिण कोरिया जैसे घटती जनसंख्या वाले देशों में आबादी बढ़ाने के काम आएगा।
इसके अलावा कई सारे मैरिड कपल जो सेक्सुअल इंटरकोर्स नहीं कर सकते हैं या कोई और दिक्कत होती है। वो अगर दूसरी महिला के कोख का इस्तेमाल किए बिना बच्चा पैदा करना चाहते हैं तो उनके लिए ये मशीन मददगार साबित
होगी।
यही नहीं बांझ दंपतियों और गर्भ निकलवा चुकी महिलाओं के लिए भी ये टेक्नोलॉजी बेहद खास साबित होगी।