

भारत सरकार ने सड़क दुर्घटना से बचाने के लिए एक अनोखे पहल की शुरूआत की है। जिसके लिए राष्ट्रीय राजमार्गों पर बाहु बल्ली (Bahu Balli) लगाया जाएगा। ये एक अनोखा कॉस्ट इफेक्टिव और इको फ्रेडली सुरक्षा घेरा है जिससे सड़क पार करने वाले जानवरों को रोका जाएगा, जो जाने-अनजाने सड़क दुर्घटना की वजह बन जाते हैं।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री ने दी जानकारी
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 5 जुलाई को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि केंद्र सरकार मवेशियों को सड़क पार करने और खतरनाक दुर्घटनाओं का कारण बनने से रोकने के लिए भारत में राजमार्गों पर बाहु बल्ली (Bahu Balli) केटल फेंस लगाने की योजना पर काम कर रही है। उन्होंने कहा, बाहु बल्ली (Bahu Balli) मवेशी बाड़ 1.20 मीटर ऊंची होगी और इसे एक व्यापक समाधान के रूप में शुरूआत करने के लिए NH-30 के सेक्शन 23 पर लगाया जाएगा।
ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए उन्होंने लिख- “यह इंस्टॉलेशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छत्तीसगढ़ यात्रा से पहले एक प्रदर्शन के रूप में काम करने वाला है।”
कॉस्ट इफेक्टिव और इको फ्रेंडली सॉल्युशन है बाहु बल्ली (Bahu Balli)
केंद्रीय मंत्री ने बाड़ की तस्वीरें साझा करते हुए, इस बाहु बल्ली (Bahu Balli) को बनाने के लिए बांस का इस्तेमाल किया गया है। ये मवेशी बाड़, मवेशियों को दुर्घटना से बचाने के लिए एक प्रभावी और पर्यावरण-अनुकूल समाधान के रूप में स्थापित होगी।
बता दें कि इन केटल फेंस को बनाने के लिए बांस को क्रेओसोट तेल से ट्रीट कर बनाया गया है। इसके बाद इस पर एचडीपीई लगाया जाता है, जिससे यह स्टील का एक मजबूत विकल्प बन जाता है। सुरक्षा और लॉन्ग लाइफ करने के लिए बाड़ को क्लास-1 की फायर रेटिंग दी गई है। केंद्रीय मंत्री ने इसे लेकर कहा है कि, बाहु बल्ली (Bahu Balli) मवेशी बाड़ का उद्देश्य सभी राजमार्गों को टिकाऊ बनाना और वन्यजीवों और मवेशियों को कम से कम नुकसान पहुंचाना है।
केंद्रीय मंत्री के अनुसार बैंबू क्रैश बैरियर का इंदौर के पीथमपुर में नेशनल ऑटोमोटिव टेस्ट ट्रैक्स (NATRAX) जैसे विभिन्न सरकारी संस्थानों में कठोर परीक्षण हुआ है और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) रुड़की में आयोजित फायर रेटिंग टेस्ट के दौरान इसे क्लास 1 का दर्जा हासिल हुआ।
इसके अलावा, बैरियर को इंडियन रोड कांग्रेस द्वारा भी मान्यता मिली थी। बांस बैरियर की रिसाइकल वैल्यू 50-70 प्रतिशत है, जबकि स्टील बैरियर की रिसाइकल वैल्यू 30-50 प्रतिशत तक ही है।

