HIGHLIGHTS:
- भारत सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी की घोषणा की
- ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा भारत
- 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन बनाने का भारत का लक्ष्य
भारत सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया बनाने की पॉलिसी का ऐलान किया है। यह नेशनल हाइड्रोजन मिशन (National Hydrogen Policy) के तहत भारत का पहला कदम है। इस मिशन के जरिए सरकार भारत को ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाना चाहती है। सरकार का लक्ष्य है कि भारत 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लक्ष्य को पूरा करे।
वर्तमान की जरूरतों को देखते हुए सरकार हाइड्रोजन और अमोनिया को भविष्य के प्रमुख ईंधन मान रही है। जो भविष्य में फॉसिल फ्यूल (पेट्रोल, डीजल, कोयला) को रिप्लेस करेगा। नई पॉलिसी में यह कहा गया है कि ग्रीन हाइड्रोजन बनाने वाले मैन्युफैक्चरर्स पावर एक्सचेंज से रिन्यूएबल पावर खरीद सकेंगे और । मैन्युफैक्चरर्स खुद का भी रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट लगा सकते हैं।
क्यों खास है हाइड्रोजन पॉलिसी?
सरकार ने इस पॉलिसी के लिए कुछ नियम बनाए हैं जिसके तहत हाइड्रोजन प्रोडक्शन एप्लीकेशन देने के 15 दिन के अंदर ही परमिशन मिल जाएगी।
30 जून 2025 के पहले इसकी शुरूआत करने पर 25 साल तक इंटर स्टेट ट्रांसमिशन ड्यूटी में छूट दी जाएगी।
हाइड्रोजन मिशन वाली कंपनी 30 दिन तक की रिनुअल एनर्जी को अपने पास रख सकेगी।
हाइड्रोजन मिशन के लिए एक वेबसाइट बनाई जाएगी। जिसमें इससे जुड़े सभी काम एक ही जगह पर हो सकेंगे।
ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया बनाने वाली कंपनी को निर्यात और शिपिंग के लिए बंदरगाह के पास स्टोरेज के लिए जगह मिलेगी।
भारत का भविष्य के ईधन में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य
भारत इसे भविष्य का ईंधन मान रही है। इस पॉलिसी के तहत भारत ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया जैसे ईंधनों में आत्मनिर्भर बनना चाहता है। भारत की यह मंशा है कि पेट्रोलियम की तरह उसे दूसरे देश पर निर्भर नहीं रहना पड़े। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल हाइड्रोजन मिशन की घोषणा 15 अगस्त 2021 में किया था जो कि इस दिशा में पहला कदम है। हाइड्रोजन मिशन की घोषणा के बाद अब सभी बड़ी कंपनियां जैसे रिलायंस, टाटा और अडाणी ने इसे बनाने की तैयारी में जुट गए हैं।
क्या है ग्रीन हाइड्रोजन?
ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी प्रदूषण रहित होता है। यह पर्यावरण फ्रेंडली होने के साथ ही सबसे साफ सोर्स है। पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग कर ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी बनाया जाता है। इस प्रोसेस में इलेक्ट्रोलाइजर का इस्तेमाल होता है। इलेक्ट्रोलाइजर रिन्यूएबल एनर्जी (सोलर, हवा) का उपयोग करता है। ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग ट्रांसपोर्ट, केमिकल, आयरन के साथ कई जगहों पर किया जा सकता है।