Howrah Bridge: कोलकाता का हावड़ा ब्रिज ना सिर्फ भारत में बल्की पूरी दुनिया में मशहूर है। ये ब्रिज हमेशा ही फिल्मों और गानो की शूटिंग के लिए पसंदीदा लोकेशन रहा है। हुगली नदी पर बना यह ब्रिज हावड़ा और कोलकाता को जोड़ता है। हावड़ा ब्रिज दुनिया का तीसरा सबसे लंबा कैंटिलीवर ब्रिज है। हावड़ा ब्रिज का एक और नाम ‘रविंद्र सेतु’ भी है। इस पुल से कई रोचक तथ्य जुड़े हुए हैं जिन्हें आज हम आपको बताएंगे।
कैसे बना हावड़ा ब्रिज?
अंग्रेजों के समय जब हावड़ा से ट्रेन चलनी शुरु हुई तब कोलकाता और हावड़ा के बीच लोगों की आवाजाही बढ़ने लगी। बारिश में नाव से हुगली नदी को पार करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। ऐसे में अंग्रेजों ने हुगली नदी पर एक पुल बनाने की सोची। पहले कम खर्च में एक पॉन्टून ब्रिज या पीपे से बना पुल तैयार किया गया। लेकिन कुछ सालों में ही यह पुल कमजोर होने लगा और फिर शुरुआत हुई हावड़ा ब्रिज के बनने की ।
1936 में शुरु हुआ ब्रिज का काम
हावड़ा ब्रिज के लिए सरकार ने 1926 में न्यू हावड़ा ब्रिज बिल पास किया और टेंडर निकाला। पुल बनाने का टेंडर एक जर्मन कंपनी ने लिया था जिसे बाद में दोनो देशों के बीच रिश्ते खराब होने पर कैंसिल कर दिया गया। बाद में 1936 में ब्रेथवेट, बर्न एंड जोसेफ कंस्ट्रक्शन कंपनी ने हावड़ा ब्रिज को बनाना शुरु किया। 1942 में हावड़ा ब्रिज बनकर तैयार हो गया। 1528 फीट लंबे और 62 फीट चौड़े पुल को बनाने में ढाई करोड़ रुपए की लागत आई थी।
टाटा ने दिया था 23 हजार टन स्टील
हावड़ा ब्रिज को बनाने के लिए 26 हजार 500 टन स्टील की जरूरत थी। पूरा स्टील ब्रिटेन से आना था लेकिन वर्ल्ड वॉर शुरु होने की वजह से वहां से स्टील नहीं आ सका। उस समय टाटा स्टील ने हावड़ा ब्रिज के लिए 23 हजार 500 टन स्टील सप्लाई किया तब जाकर ब्रिज का काम पूरा हुआ।
हावड़ा ब्रिज की खासियत
हावड़ा ब्रिज एक कैंटिलीवर ब्रिज है, जो हुगली नदी के किनारों पर बने 280 फीट के दो पिल्लरों पर खड़ा हुआ है। इसके अलावा नदी में पुल को सहारा देने के लिए किसी तह का कोई स्तंभ नहीं बनाया गया है, ताकी गुजरने वाले जहाजों को कोई दिक्कत ना हो। पुल को बनाने में किसी तरह के नट-बोल्ट का उपयोग नहीं हुआ है। जहां पर दो हिस्सों को जोडने की जरूरत पड़ी वहां किल का इस्तेमाल किया गया है। आपको बता दें इतने बड़े पुल का आजतक कोई उद्घाटन नहीं हुआ है। 1943 में इसे ऐसे ही आम जनता के लिए खोल दिया गया था।
बम हमले में भी नहीं हुआ नुकसान
1942 में जापान ने कोलकाता में कई बार बम गिराकर हमले किए। इस दौरान एक बम हावड़ा ब्रिज के बिल्कुल करीब गिरा था। लेकिन उससे भी ब्रिज को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ। लगभग 82 साल पुराना पुल अब भी उतनी ही मजबूती से खड़ा हुआ है। आज भी हर रोज लाखों लोग और भारी गाड़ियां इस पुल से गुजर रही हैं। बीच-बीच में राज्य सरकार पुल की सुरक्षा की जांच और रखरखाव करवाते रहती हैं।
Positive सार
भारत के लिए हावड़ा ब्रिज सिर्फ एक पुल नहीं है। सालों से दो शहरों को जोड़ता यह पुल इतिहास की कितनी ही घटनाओं का गवाह है। आजादी से पहले बने कई ऐतिहासिक निर्माण में हावड़ा ब्रिज का नाम भी आता है। इस ब्रिज की स्थिति को देखते हुए आज भी यह कहा जा सकता है कि आने वाले कई दशकों तक यह पुल इसी तरह खड़ा रहेगा।