

Sonali Banerjee: भारतीय महिलाएं आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। अंतरिक्ष विज्ञान से लेकर समुद्र विज्ञान तक, शिक्षा से लेकर तकनीकी ज्ञान तक सभी में वे अपना दमखम दिखा रही हैं। लेकिन आज से 50 साल पहले तक ऐसा नहीं था। आज जब महिलाएं हर क्षेत्र में एक बेहतर मुकाम हासिल कर रही हैं उनके पीछे उन महिलाओं का हाथ है जिन्होंने कई रूढ़ियों को तोड़ा और नई जनरेशन के लिए रास्ते तैयार किए। ऐसी ही महिलाओं में शामिल हैं सोनाली बैनर्जी (Sonali Banerjee) जिन्हें देश की पहली महिला मरीन इंजीनियर होने का गौरव प्राप्त है। जानते हैं कि कैसे पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्र में एक महिला ने अपने लिए जगह बनाई और इतिहास में अपना नाम अमर कर गई….
सोनाली बैनर्जी के बारे में…
हर व्यक्ति जब कुछ बेहतर करना चाहता है तो उसे कहीं न कहीं से प्रेरणा जरूर मिलती है। नन्हीं सोनाली के अंकल मरीन इंजीनियर थे। सोनाली ने उन्हीं से प्रेरित होकर मरीन इंजीनियर बनने का सपना देखा। साल 1995 में उन्होंने IIT की प्रवेश परीक्षा पास कर इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। यहां से उन्होंने मरीन इंजीनियरिंग कोर्स की पढ़ाई की। ग्रैजुएशन पूरा करने के बाद जब सोनाली कोलकाता के तरातला में स्थित ‘मरीन इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट’ से मरीन इंजीनियरिंग का कोर्स करने पहुंची तब उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। दरअसल 1500 छात्रों के बीच वो एकमात्र महिला छात्र थीं, जिसकी वजह से कॉलेज प्रशासन के लिए ये बड़ी चुनौती बन गई कि उन्हें रखें कहां, बाद में विचार-विमर्श के बाद उन्हें स्टाफ क्वाटर में रुकने की जगह दी गई। 1999 में 22 साल की सोनाली देश की पहली मरीन इंजीनियर बन गईं।
Pre-Sea Course के लिए सोनाली का चयन
मरीन इंजीनियरिंग का कोर्स करने के बाद सोनाली बनर्जी का Mobil Shipping Company के 6 महीने के Pre-Sea कोर्स के लिए चयन हुआ। इस दौरान उन्होंने सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड, हांगकांग, फिजी और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में अपनी ट्रेनिंग पूरी की। हालांकि यह उनके लिए काफी मुश्किल था, क्योंकि लंबे वक्त से वह घर से दूर रहकर ट्रेनिंग पूरा कर रही थीं। उस दौर में ये बड़ी बात थी। लेकिन इन मुश्किलों से बिना घबराए सोनाली ने आखिरकार अपनी मंजिल को हासिल कर ही लिया।
कैसे महिलाएं बन सकती हैं मरीन इंजीनियर?
देश की सेवा करने की इच्छुक महिलाएं जो मरीन इंजीनयर बनना चाहती हैं उनके लिए आजकल कई विकल्प मौजूद हैं। इसके लिए 10 वीं औप 12वीं में कम से कम 60 प्रतिशत अंक लाना जरूरी है, इसके साथ ही 12वीं में फिजिक्स, कैमेस्ट्री और मैथ्स जरूरी है। मरीन इंजीनियर बनने के लिए दो तरह के कोर्स होते हैं, इनमें बीटेक इन मरीन इंजीनियरिंग और बीटेक इन नेवल आर्किटेक्ट एंड ओशन इंजीनियरिंग है। सरकारी संस्थानों से भी ये कोर्स किया जा सकता है। कई प्राइवेट इंस्टीट्यूट भी इस कोर्स को करवाते हैं। मरीन इंजीनियरिंग कोर्सेज में एडमिशन के लिए लिखित परीक्षा, इंटरव्यू, साइकोमीट्रिक टेस्ट और मेडिकल टेस्ट जैसी प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है। आजकल इसमें नेवल आर्किटेक्ट जैसे विषय भी शामिल हो गए हैं।