

केंद्र सरकार ने टेलीविजन और सोशल मीडिया पर भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने 31 सितंबर को विज्ञापन एजेंसियों को सरोगेट ऐड्स के लिए जारी की गई गाइडलाइन का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है। सरकार का कहना है कि इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि आमतौर पर विज्ञापन एजेंसियां सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) की ओर से जारी गाइडलाइन का पालन नहीं कर रही हैं और प्रतिबंधित चीजों का किसी दूसरी चीजों या फिर दूसरे माध्यम से विज्ञापन कर प्रचार किया जा रहा है।
हाल ही में वर्ल्ड लेवल पर आयोजित कई खेलों में ऐसे सरोगेट एडवर्टाइजमेंट के उदाहरण देखने को मिले हैं। ऐसा मंत्रालय की तरफ से कहा गया। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि साथ ही यह भी देखा गया कि म्यूजिक सीडी, क्लब सोडा और पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर की आड़ में कई शराब के ब्रांड का विज्ञापन किया गया। गुटका और तंबाकू का इलायची की आड़ में प्रचार हो रहा है। वहीं ऐसे कई ब्रांड सेलिब्रिटीज का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका युवाओं पर गलत प्रभाव पड़ा है।
CCPA करेगा कड़ी कार्रवाई
मंत्रालय ने कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री, एसोचैम, इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया और इंडियन सोसाइटी ऑफ एडवरटाइजर्स को भ्रामक और सरोगेट एड से संबंधित प्रावधानों के दिशानिर्देशों का कड़ाई से अनुपालन करने को कहा गया है। इसका पालन नहीं होने पर CCPA की ओर से विज्ञापन एजेंसियां के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
CCPA की गाइडलाइन
सरोगेट विज्ञापन पर प्रतिबंध लगे
शर्तें लागू होने पर फ्री एडवर्टाइजमेंट को भ्रामक कहा जाए
बच्चों के जरिए चैरिटी, पोषण संबंधी दावे भी भ्रामक भी हो सकते हैं
ब्रांड प्रमोशन के लिए किसी प्रोफेशनल का इस्तेमाल करना गलत है
नियम और शर्तों में जो कुछ भी फ्री बताया गया है, डिस्क्लेमर में भी वह फ्री ही होना चाहिए
भ्रामक विज्ञापन
अगर विज्ञापनों में दी गई जानकारी प्रोडक्ट में नहीं है, तो उन विज्ञापनों को भ्रामक विज्ञापन कहा जाएगा। जो विज्ञापन उनके डिस्क्लेमर से अलग होते हैं, उन्हें भी भ्रामक विज्ञापन माना जाए। इसके अलावा, अगर कोई सेलिब्रिटी किसी विज्ञापन में कुछ दावा कर रहा है और वह सही नहीं है तब वह विज्ञापन भी भ्रामक विज्ञापन श्रेणी में आता है।
सरोगेट एडवर्टाइजमेंट
अक्सर टीवी पर किसी शराब, तंबाकू या ऐसे ही किसी प्रोडक्ट का विज्ञापन देखा होगा, जिसमें प्रोडक्ट के बारे में सीधे न बताते हुए उसे किसी दूसरे ऐसे ही प्रोडक्ट या पूरी तरह अलग प्रोडक्ट के तौर पर दर्शाया जाता है। जैसे शराब को अक्सर म्यूजिक CD या सोडे के तौर पर शो किया जाता है। यानी ऐसा ऐड जिसमें दिखाया कोई और प्रोडक्ट जाता है, लेकिन असल प्रोडक्ट कोई दूसरा होता है, जो सीधा-सीधा ब्रांड से संबंध रखता है।
50 लाख रुपए तक का जुर्माना देना होगा
CCPA किसी भी भ्रामक विज्ञापन के लिए मैन्युफैक्चर्स, एडवर्टाइजर्स और एंडोर्सर्स पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। बाद के उल्लंघनों के लिए 50 लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगेगा। अथॉरिटी भ्रामक विज्ञापन के एंडोर्सर पर 1 साल का बैन भी लगा सकती है। बाद में उल्लंघन के लिए इसे 3 साल तक बढ़ाया जाएगा। ये नियम उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का अधिकार देंगे।

