

दीन दयाल अंत्योदय योजना (डीएवाई) कौशल विकास के माध्यम से शहरी वंचित लोगों के लिए स्थायी आजीविका की संभावनाओं में सुधार के इरादे से बनाई गई थी। मेक इन इंडिया लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए कौशल विकास सामाजिक आर्थिक सुधार के लिए महत्वपूर्ण है।
आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय (एचयूपीए) के निर्देशन में दीन दयाल अंत्योदय योजना की स्थापना की गई थी। योजना के लिए भारत सरकार द्वारा 500 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) और राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन योजना में संयुक्त हैं।
दीन दयाल अंत्योदय योजना की मुख्य विशेषताएं
• कौशल प्रशिक्षण और स्थापन के माध्यम से रोजगार – मिशन के तहत शहरी गरीबों को प्रशिक्षित कर कुशल बनाने के लिए 15 हजार रुपये का प्रावधान किया गया है, जो पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर के लिए प्रति व्यक्ति 18 हजार रुपये है। इसके अलावा, शहर आजीविका केंद्रों के जरिए शहरी नागरिकों द्वारा शहरी गरीबों को बाजारोन्मुख कौशल में प्रशिक्षित करने की बड़ी मांग को पूरा किया जाएगा।
• सामजिक एकजुटता और संस्था विकास – इसे सदस्यों के प्रशिक्षण के लिए स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के गठन के माध्यम से किया जाएगा, जिसमें प्रत्येक समूह को 10,000 रुपये का प्रारंभिक समर्थन दिया जाता है। पंजीकृत क्षेत्रों के स्तर महासंघों को 50, 000 रुपये की सहायता प्रदान की जाती है।
• शहरी गरीबों को सब्सिडी – सूक्ष्म उद्यमों (माइक्रो– इंटरप्राइजेज) और समूह उद्यमों (ग्रुप इंटरप्राइजेज) की स्थापना के जरिए स्व-रोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा। इसमें व्यक्तिगत परियोजनाओं के लिए 2 लाख रुपयों की ब्याज सब्सिडी औऱ समूह उद्यमों पर 10 लाख रुपयों की ब्याज सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
• शहरी निराश्रय के लिए आश्रय – शहरी बेघरों के लिए आश्रयों के निर्माण की लागत योजना के तहत पूरी तरह से वित्त पोषित है।
• अन्य साधन – बुनियादी ढांचे की स्थापना के माध्यम से विक्रेताओं के लिए विक्रेता बाजार का विकास और कौशल को बढ़ावा और कूड़ा उठाने वालों और विकलांगजनों आदि के लिए विशेष परियोजनाएं।

