

छत्तीसगढ़ के ‘ब्लेड रनर’ चित्रसेन साहू को कौन नहीं जानता है। उनके हौसलों ने कई लोगों को प्रेरित किया है। दुनियाभर में छत्तीसगढ़ का नाम बुलंदी पर पहुंचाने वाले चित्रसेन साहू ने एक नई जिम्मेदारी ली है। ऐसी जिम्मेदारी जो एक बार फिर से उनके सबसे खास होने का अहसास आपको करवा देगी। दरअसल चित्रसेन ने 9 लोगों की टीम को लीड किया और उन्हें एवरेस्ट बेस कैंप की 5364 मीटर की चढ़ाई को पूरा करने के लिए प्रेरित किया।
एवरेस्ट बेस कैंप की चढ़ाई करने वाले ये सभी 9 लोग काफी खास हैं। जिनमें से 4 लोग दिव्यांग हैं। चित्रसेन ने युवाओं में एडवेंचस स्पोर्ट्स के रुझान पैदा करने के लिए इस मिशन को पूरा किया। उन्होंने इस मिशन के उद्देश्य को बताते हुए कहा कि- इसका एकमात्र उद्देश्य सशक्तिकरण और जागरूकता को बढ़ाना है। ऐसे लोग जो जन्म से या किसी दुर्घटना के बाद अपने किसी शरीर के हिस्से को गवां बैठते हैं, उन्हें सामाजिक स्वीकृति दिलाना उनका मकसद है। ताकि उन्हें समानता का अहसास हो। उन्होंने इस मिशन में अलग अलग तरह के विकलांगता, जेंडर, उम्र और कम्युनिटी के लोग साथ में ट्रैकिंग की।
“अपने पैरों पर खड़े हैं” मिशन इंक्लूजन के 9 पर्वतारोही
एक पैर से डांस करने वाली चंचल- धमतरी की रहने वाली 14 साल की चंचल का जन्म से एक पैर नहीं है। लेकिन उनमें आत्मविश्वास गजब का है। उन्होंने एवरेस्ट के बेस कैंप की चढ़ाई एक पैर और बैसाखी के सहारे से की। चंचल पिछले एक साल से पर्वत फतह करने की प्रैक्टिस कर रही थीं। इस दौरान वे रोज़ाना रूद्री से गंगरेल तक लगभग 12 किमी पैदल चलती थीं। कई बार आसापास के जंगल और पहाड़ों पर भी गईं। चंचल एक पैर से डांस भी करती हैं।
रजनी जोशी के लो विजन ने हौसलों के विजन को लो नहीं होने दिया
लो विजन से जूझ रही 21 साल की पैरा जुडो खिलाड़ी रजनी जोशी आज कई लोगों के लिए मिसाल बन गई हैं। स्नो फॉल, बर्फीली पहाड़ियों की परेशानी और गिरने के डर के बावजूद वे रुकी नहीं और कामयाबी हासिल को हासिल किया।
अनवर अली के पैर कृत्रिम हैं, पर सपने ओरिजनल हैं
36 साल के अनवर अली ने एक एक्सीडेंट में अपने पैर खो दिए लेकिन उनके हौसलों ने उनकी शख्सियत को बनाए रखा। कृत्रिम पैरों से अक्सर उबड़-खाबड़ रास्तों में परेशानी होती है। लेकिन अनवर ने मजबूत इरादों से अपने सफर की शुरूआत की थी। इससे पहले उन्होंने सउदी अरब में मक्का की सबसे ऊंची चोटी की चढ़ाई की थी। अनवर ने 5364 मीटर की चढ़ाई ईद के दिन पूरी की और ऊंचाई पर पहुंचकर उन्होंने नमाज़ भी अदा की।
ऊंचाई पर छत्तीसगढ़ की पहली ट्रांसवुमन
31 साल की निक्की बजाज रायपुर की रहने वाली हैं। वे छत्तीसगढ़ की पहली ट्रांसवुमन हैं जिन्होंने एवरेस्ट बेस कैंप की चढ़ाई की। कभी समाज में खुद की पहचान स्थापित करने की लड़ाई लड़ चुकी निक्की आज हर किसी के लिए प्रेरणा बनकर उभरी हैं।
इनके अलावा इस मिशन से जुड़ने वाले लोगों में 25 साल की गुंजन सिन्हा, पेमेंन्द्र चंद्राकर (38) राघवेंद्र चंद्राकर (47) और आशुतोष पांडेय (39) भी शामिल हैं।
कहावत है कि ‘जहां चाह है वहां राह है’ और इसी बात को “अपने पैरों पर खड़े हैं” मिशन इंक्लूजन के सदस्यों ने चरितार्थ किया है। इस मिशन को पूरा करने वाले माऊंटेनर्स ने यह साबित कर दिया है कि दृढ़संकल्प, आत्मविश्वास और कुछ करने की चाह हमेशा एक रास्ता बना देती है।