Bastariya Batalian: छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित इलाका माना जाता है बस्तर। नक्सलियों का सफाया करने के लिए यहां कई फोर्स और बटालियन को तैनात किया गया है। उनमें से ही एक बटालियन है ‘बस्तर बटालियन’(Bastariya Batalian)। हाल ही में सीएम विष्णुदेव साय अपने बस्तर दौरे में इसी बटालियन की कैंप में रुके हुए थे। क्या आप जानते हैं बस्तर बटालियन की शुरुआत कैसे हुई, इसकी खासियत क्या है और इसे बस्तर बटालियन नाम कैसे पड़ा? यहां हम आपको इसी बात की विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
2016 में हुई बटालियन की घोषणा
बस्तर बटालियन (Bastariya Batalian) के गठन की घोषणा साल 2016 में केंद्र की तरफ से किया गया था। इसके तहत गठित बटालियन में सबसे पहले 400 आदिवासी युवक-युवतियों का चयन किया गया। रिजर्व पुलिस बल यानी CRPF ने इसके लिए भर्तियां की थी। बस्तर बटालियन में आदिवासी युवक-युवतियों को बतौर कॉन्सटेबल भर्ती किया गया।
आदिवासियों की भर्ती क्यों?
बस्तर बटालियन की भर्ती मुख्य रूप से माओवादी विरोधी अभियानों के लिए किया गया है। भर्ती के बाद इन्हें खास ट्रेनिंग भी दी गई। इन्हें वजन और लंबाई के क्राइटेरिया में कुछ छूट भी दी गई है। बस्तर बटालियन में आदिवासी युवक युवतियों को भर्ती का करने का मुख्य उद्देश्य है फोर्स की ताकत को बढ़ाना। स्थानीय होने की वजह से इन्हें बस्तर के घने जंगलों के लोकेशन्स की अच्छी जानकारी होती है। साथ ही इन्हे स्थानीय भाषा की भी जानकारी होती है, जिसका फायदा नक्सलियों के खिलाफ अभियान में मिलता है।
आदिवासी युवक-युवतियों को मिला रोजगार
बस्तर बटालियन के गठन से बस्तर के स्थानीय युवक-युवतियो को रोजगार का नया आयाम मिल गया है। पिछड़े समझे जाने वाले इन आदिवासियों ने फोर्स में शामिल कर फोर्त की ताकत बढ़ाई है। भर्ती के बाद दी गई ट्रेनिंग ने इन्हें पूरी तरह से ट्रेंड कर दिया गया है। लोकल लोकेशन्स की जानकारी और फोर्स से मिली ट्रेनिंग ने इन्हें नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ी ताकत के रूप में लाकर खड़ा कर दिया है।