Bamboo Tower: छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में एफिल टावर की तर्ज पर बांस का टावर बनाया गया है। यह टावर दुनिया का सबसे ऊंचा बांस टावर है, जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ड रिकॉर्ड में भी जगह बनाई है। यह टावर अपने आप में अनोखा है। इस टावर का लोकार्पण विश्व बांस दिवस के मौके पर केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने वर्चुअल तरीके से किया था।
क्या है Bamboo Tower की खासियत?
इस अनोखे बांस टावर को बनाने में पूरे 11 लाख रुपए की लागत आई है। इसका निर्माण भव्य सृष्टि उद्योग की तरफ से किया गया है। पेरिस के एफिल टावर के बारे में तो सब जानते हैं। उसी एफिल टावर को ध्यान में रखते हुए इस Bamboo Tower को बनाया गया है। टावर की ऊंचाई 140 फीट है, वहीं टावर मे लगे कुल बांस का वजन 7 हजार 400 किलोग्राम है।
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज
छोटे से गांव कठिया में लगाए गए इस बांस के टावर को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान दिया गया है। यह दुनिया का सबसे बड़ा टावर है जिसे बांस से बनाया गया है। इसे गणेश वर्मा ने बनाया है जो “भव्य सृष्टि उद्योग” के फाउंडर है। इसे पेरिस के एफिल टावर की तरह डिजाइन करने की कोशश की गई है।
बांस से जुड़ी है भव्य सृष्टि उद्योग
भव्य सृष्टि उद्योग बांस से जुड़ी एक नवाचार की कंपनी है। इसे अब तक लगभग 15 पेटेंट मिल चुके हैं। इनके द्वारा बनाए गए भव्य बैंबू टावर में खास तरह के बांस का उपयोग किया गया है। यह बैम्बू टावर वैक्यूम प्रेशर इम्प्रेग्नेशन से ट्रीट की गई हाई-डेंसिटी पॉलीएथिलीन कोटेड बांस को उपयोग कर बनाय गया है। इस बांस को बाहु-बल्ली भी कहते हैं। यह वजन में हल्का और लगभग 25 साल तक की लाइफ वाला होता है।
छत्तीसगढ़ में 17 फीसदी है बांस के जंगल
आपको बता दें छत्तीसगढ़ में बांस के काफी जंगल हैं। छत्तीसगढ़ 44 प्रतिशत वनों से घिरा है जिसमें 17 प्रतिशत बांस के जंगल हैं। छत्तसीगढ़ पड़ोसी राज्यों में बांस निर्यात भी करता है। छत्तीसगढ़ सीमा से लगा मध्यप्रदेश का जिला शहडोल पेपर उत्पादक जिला है। अगर यहां के किसान बांस की खेती पर काम करें तो उन्हें आसानी से खरीददार मिल सकते हैं। वहीं गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले की बाद की जाए तो यहां से अमलाई पेपर मिल की दूरी ज्यदा नहीं है। यहां भी किसानों को आसानी से खऱीददार मिल सकते हैं।
रोजगार और संस्कृति का हिस्सा है बांस
छत्तीसगढ़ में बांस हजारों परिवार की आजीविका का भी साधन है और धर्म-संस्कृति का हिस्सा भी है। छत्तीसगढ़ के तूरी,बसोर, और पारधी समाज के लोग बांस की चीजें बनाकर ही अपना जीवन चलाते हैं। छत्तीसगढ़ में किचन के सामान, खेती में उपयोग होने वाले कुछ सामान बांस से ही बनाए जाते हैं। जन्म से लेकर मृत्यु तक की प्रकृयाओं में बांस का खास धार्मिक महत्व होता है।
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