Agniveer Model
भारतीय सेना इस समय अपनी जनशक्ति को लेकर एक अभूतपूर्व चुनौती का सामना कर रही है। सेना में लगभग 1.8 लाख सैनिकों की कमी दर्ज की गई है, जो आने वाले वर्षों में और बढ़ने की आशंका है। यह संकट कोविड काल के दो वर्षों में भर्ती बंद रहने से पैदा हुआ, वहीं दूसरी ओर हर साल हजारों सैनिक रिटायर होते गए, जिससे रिक्तियां लगातार बढ़ती रहीं। यह स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी थी कि अग्निपथ योजना लागू होने से पहले ही सेना की संरचना असंतुलित होने लगी।
साल 2022 में अग्निपथ योजना की शुरुआत हुई और पहले चरण में मात्र 46 हजार अग्निवीरों की भर्ती की गई। इनमें से लगभग 40 हजार सैनिक भारतीय सेना में शामिल हुए, जबकि बाकी नौसेना और वायुसेना के लिए चयनित हुए। योजना के अनुसार आने वाले वर्षों में अग्निवीरों की संख्या 1.75 लाख तक पहुंचनी थी, लेकिन इस बीच सेना में हर साल 60–65 हजार नियमित सैनिक रिटायर होते रहे। नए भर्ती होने वाले अग्निवीरों की संख्या कम और रिटायरमेंट की रफ्तार अधिक होने से सेना की कमी और स्पष्ट होती चली गई। इसी असंतुलन ने जनशक्ति के संकट को और गहरा कर दिया।
2026 से पहला अग्निवीर बैच होगा रिटायर
अग्निपथ मॉडल के अनुसार, 2026 में चार वर्ष की अवधि पूरी करने के बाद पहला अग्निवीर बैच रिटायर होना शुरू करेगा। इनमें से सिर्फ 25 प्रतिशत अग्निवीरों को स्थायी नियुक्ति मिलेगी जबकि बाकी सभी सेना से बाहर होंगे। इसका सीधा अर्थ यह है कि सेना की कुल कमी एक बार फिर तेजी से बढ़ेगी, क्योंकि मौजूदा रिटायरमेंट तो जारी ही रहेगा।
इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए सेना ने भर्ती पैटर्न में बड़े बदलाव की दिशा में काम शुरू कर दिया है।
हर साल 1 लाख से अधिक अग्निवीरों की भर्ती
सेना वर्तमान में हर साल लगभग 45–50 हजार अग्निवीरों की भर्ती करती है, जिसे बढ़ाकर 1 लाख से अधिक करने की योजना पर विचार किया जा रहा है। यह बढ़ोतरी इसलिए आवश्यक है ताकि 2026 में पहला बैच बाहर होने पर पैदा होने वाले खालीपन को भरा जा सके और रिटायरमेंट के कारण बढ़ने वाली कमी पर नियंत्रण पाया जा सके। सूत्रों का कहना है कि 2025 से भर्ती प्रक्रिया को तेज किया जाएगा, जिससे 2026 तक सेना के नए ढांचे को स्थिर किया जा सके।
क्या प्रशिक्षण केंद्र इतनी बड़ी भर्ती संभाल पाएंगे?
भर्ती संख्या बढ़ाने से पहले भारतीय सेना अपने रेजिमेंटल प्रशिक्षण केंद्रों की क्षमता, संसाधन और प्रशिक्षक बल का विस्तृत मूल्यांकन कर रही है। बड़ी भर्ती तभी लागू होगी जब यह सुनिश्चित हो जाए कि प्रशिक्षण की गुणवत्ता में कोई कमी न आए और सुरक्षा मानकों का पालन पूरी गंभीरता से किया जाए। सेना इस निर्णय में जल्दबाज़ी नहीं कर रही है, बल्कि अपनी वास्तविक क्षमता के अनुसार कदम आगे बढ़ा रही है।
सेना का आधिकारिक बयान
सेना ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अग्निपथ योजना के पहले चरण में 1.75 लाख अग्निवीर शामिल करने की प्रक्रिया जारी है। साथ ही वर्तमान कमी को देखते हुए अतिरिक्त रिक्तियां भी खोली जाएंगी। यह संकेत है कि आने वाले महीनों में बड़ी और निरंतर भर्तियां देखने को मिलने वाली हैं।
सेना की संरचना में बड़ा परिवर्तन
2026 में पहला अग्निवीर बैच बाहर होगा, नियमित सैनिक रिटायर होते रहेंगे, और दोनों मिलकर सेना में काफी बड़ा गैप तैयार करेंगे। इस अंतर को पाटने के लिए सेना को हर साल बड़े पैमाने पर भर्ती करनी होगी। आने वाले 3–5 वर्षों में भारतीय सेना की जनशक्ति संरचना पूरी तरह नए मिश्रण में दिखाई देगी जहाँ अग्निवीर और नियमित सैनिक एक संतुलित मॉडल का आधार बनेंगे।
भारत की सुरक्षा आवश्यकताओं को देखते हुए यह बदलाव न केवल अनिवार्य है, बल्कि सैन्य ढांचे को आधुनिक, संतुलित और भविष्य-उन्मुख बनाने की एक रणनीतिक प्रक्रिया भी है। सेना की यह तैयारी दिखाती है कि आने वाले वर्षों में भर्ती प्रक्रिया, प्रशिक्षण मानकों और जनशक्ति प्रबंधन में व्यापक सुधार देखने को मिलेंगे।

