74 साल बाद कम हुआ भारत-पाकिस्तान बंटवारे में बिछड़े भाइयों का दर्द!

Highlights:

  • 74 साल बाद एक-दूसरे से मिले सगे भाई।
  • भारत-पाक बंटवारे में बिछड़े थे दोनो भाई।
  • श्री करतारपुर साहिब में हुई भाईयों की मुलाकात।

एक कहावत है कि खुशी के आंसु मोती से कम नहीं होते। और इन्हीं मोतियों की झड़ी देखने को मिली श्री करतारपुर साहिब पहुंचे दो भाइयों के आंखों में जिनकी मुलाकात 74 सालों बाद हुई। ये दोनों भाई भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय अलग हो गए थे। एक भाई मोहम्मद सदीक पाकिस्तान चले गए थे तो दूसरे भाई मोहम्मद हबीब आका भारत में रह गए।
 

चमत्कार से कम नहीं दोनों भाईयों के मिलने की कहानी

भारत-पाक बंटवारे के 74 साल बाद दो सगे भाईयों का मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं है। पहले दोनों भाई सोशल मीडिया के सहारे एक-दूसरे से मिले और अब श्री करतारपुर में आमने-सामने। जब दोनों भाई मिले तो हर कोई इन्हें देखते रह गया। श्री करतारपुर स्थित गुरुद्वारा साहिब सिक्खों का बहुत ही महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। ऐसे में यहं भारत और पाकिस्तान से कई श्रद्धालु पहुंचते हैं। वैसे तो इस कॉरिडोर में पहुंचते ही यह हिदायत दी जाती है कि भारतीय किसी भी पाकिस्तानी से बातचीत नहीं करेंगे और न ही नंबर एक्सचेंज करेंगे। लेकिन जैसे ही 12 जनवरी को दोनों भाई एक-दूसरे से मिलते ही गले लगकर फूट-फूट कर रोने लग गए। इस नजारे को देखकर किसी की भी हिम्मत इन भाईयों को रोकने की नहीं हुई।
करतारपुर कॉरिडोर प्रोजेक्ट के सीईओ मोहम्मद लातिफ का कहना है कि जब दोनों भाई एक-दूसरे से मिले तो उनके रोने की आवाज ऊंची-ऊंची सुनाई देने लगी। इस घटना ने वहां मौजूद सभी लोगों को भावुक कर दिया ।

करतारपुर साहिब में पहले भी मिल चुके हैं बिछड़े

यह पहला मौका नहीं था जब दो बिछड़े लोग करतारपुर साहिब में मिले हों। इसके पहले भी होशियारपुर की सुनिता अपने परिवार से मिली थीं। दोनों भाइयों ने भारत और पाकिस्तान की सरकार को करतारपुर कॉरिडोर खोलने के लिए धन्यवाद दिया। करतारपुर कॉरिडोर के माध्यम से भारत के लोग बिना वीजा के पाकिस्तान स्थित करतापुर जा सकते हैं। इस कॉरिडोर को साल 2019 में खोला गया था।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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